मुझको भी जिंदगी की, जरुरत बना गई,
वो नज़रों से छु मुझे, खूबसूरत बना गई //
आँखों से तोड़ गयी, ख्वाबों की पंखुड़ियों को,
कांटो ने छोड़ दिया, जख्मी कर उंगलियों को //
देख तुझको निगाहों, में भर आया पानी,
देन है ये हसीनो की, है मेहरबानी //
लगा था मेला, मैं नीलाम हो गया,
कि दिल का सौदा, मेरा काम हो गया //
क्या कहूँ उसको समझ नहीं आता,
दिल में रहता है, घर नहीं आता //
ज़रा सी बात कह दी तो मलाल कर गई,
बुरा वो मान बत्तर, और हाल कर गई //
वो नज़रों से छु मुझे, खूबसूरत बना गई //
आँखों से तोड़ गयी, ख्वाबों की पंखुड़ियों को,
कांटो ने छोड़ दिया, जख्मी कर उंगलियों को //
देख तुझको निगाहों, में भर आया पानी,
देन है ये हसीनो की, है मेहरबानी //
लगा था मेला, मैं नीलाम हो गया,
कि दिल का सौदा, मेरा काम हो गया //
क्या कहूँ उसको समझ नहीं आता,
दिल में रहता है, घर नहीं आता //
ज़रा सी बात कह दी तो मलाल कर गई,
बुरा वो मान बत्तर, और हाल कर गई //
बहुत खूब ....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया शेर
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन:-)
वाह ,,, लाजबाब शेर सुंदर प्रस्तुति,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST,,,इन्तजार,,,
बहुत बहुत शुक्रिया शिवनाथ जी , रीना जी एवं श्री धीरेन्द्र जी .....
ReplyDeletebahut badhiya arun bhai ...dil khush kar diya aapne to
ReplyDeleteसंजय भाई किसी लेखक रचना को पढ़ कर अगर दिल खुश हो जाए तो उस लेखक को और क्या चाहिए, शुक्रिया
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