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Thursday, July 19, 2012

दिल तुझसे ज़रा खफा है

नाराज हूँ मैं, दिल तुझसे ज़रा खफा है,
मासूम भोली, सूरत ने दिया दगा है

खंज़र ये आँखों का, दिल में उतार डाला  
हमेशा के लिए मुस्किल, जख्म मुझे मिला है,

डर डर के जिंदगी को, जीने से मौत बेहतर,
कैसा ये दर्द दिलबर, सीने में भर दिया है,

मुझे रात भर रुला, ताकि ये आँख नम हो,
दुश्मन से दोस्त बन, संवर रही हवा है

धड़कन के रास्ते, साँसों में समां गयी जो
वो हुस्न का जादू, बातों में सदा रहा है..........

3 comments:

  1. dheerendraJuly 19, 2012 at 9:24 PM

    तुमने बहुत तडपाया मुझको संकू तुमको न मिलेगा,
    जो जख्म दिया है मुझको उन्हें तुम भर न सकोगी!,,,,,,,

    बहुत सुंदर रचना,,,,,,

    RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....

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  2. सतीश सक्सेनाJuly 19, 2012 at 10:17 PM

    बहुत खूब ...
    शुभकामनायें !

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  3. अरुन शर्माJuly 20, 2012 at 10:40 AM

    बहुत बहुत शुक्रिया धीरेन्द्र SIR सतीश SIR

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