नाराज हूँ मैं, दिल तुझसे ज़रा खफा है,
मासूम भोली, सूरत ने दिया दगा है
खंज़र ये आँखों का, दिल में उतार डाला
हमेशा के लिए मुस्किल, जख्म मुझे मिला है,
डर डर के जिंदगी को, जीने से मौत बेहतर,
कैसा ये दर्द दिलबर, सीने में भर दिया है,
मुझे रात भर रुला, ताकि ये आँख नम हो,
दुश्मन से दोस्त बन, संवर रही हवा है
धड़कन के रास्ते, साँसों में समां गयी जो
वो हुस्न का जादू, बातों में सदा रहा है..........
मासूम भोली, सूरत ने दिया दगा है
खंज़र ये आँखों का, दिल में उतार डाला
हमेशा के लिए मुस्किल, जख्म मुझे मिला है,
डर डर के जिंदगी को, जीने से मौत बेहतर,
कैसा ये दर्द दिलबर, सीने में भर दिया है,
मुझे रात भर रुला, ताकि ये आँख नम हो,
दुश्मन से दोस्त बन, संवर रही हवा है
धड़कन के रास्ते, साँसों में समां गयी जो
वो हुस्न का जादू, बातों में सदा रहा है..........
तुमने बहुत तडपाया मुझको संकू तुमको न मिलेगा,
ReplyDeleteजो जख्म दिया है मुझको उन्हें तुम भर न सकोगी!,,,,,,,
बहुत सुंदर रचना,,,,,,
RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....
बहुत खूब ...
ReplyDeleteशुभकामनायें !
बहुत बहुत शुक्रिया धीरेन्द्र SIR सतीश SIR
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