लहू से लथपथ, उम्मीदों का कोना है,
कि मैं घडी भर हूँ जागा, उम्र भर सोना है,
मिला लुटा हर लम्हा, जीवन का तिनका सा,
लबों पे रख कर लफ़्ज़ों को, जी भर रोना है,
छुड़ा के दामन अब वो दोस्त, अपना बदला,
मिला के आँखों का गम, सारा आलम धोना है,
जिगर में रखता हूँ, जलता -बुझता शोला फिर भी,
तेरी ख़ुशी की खातिर, दुःख अपना संजोना है,
कभी-कभी जब तबियत, दिल की बिगड़ी मेरे यारों,
निकाल साँसों को अपना दम खुद ही खोना है..........
कि मैं घडी भर हूँ जागा, उम्र भर सोना है,
मिला लुटा हर लम्हा, जीवन का तिनका सा,
लबों पे रख कर लफ़्ज़ों को, जी भर रोना है,
छुड़ा के दामन अब वो दोस्त, अपना बदला,
मिला के आँखों का गम, सारा आलम धोना है,
जिगर में रखता हूँ, जलता -बुझता शोला फिर भी,
तेरी ख़ुशी की खातिर, दुःख अपना संजोना है,
कभी-कभी जब तबियत, दिल की बिगड़ी मेरे यारों,
निकाल साँसों को अपना दम खुद ही खोना है..........
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteइस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (21-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
वाह, बहुत खूब समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
ReplyDeletehttp://mhare-anubhav.blogspot.co.uk/
बहुत खूब !!
ReplyDeleteसोना रोना धोना खोना चलता रहता है
संजोना इनमें सब से अच्छा रहता है
बहुत सुन्दर अरुण जी....
ReplyDeleteआपकी लेखनी में दिनों-दिन निखार है..
वाह...
अनु
आदरणीय मयंक SIR सुशील SIR एवं आदरणीया अनु जी पल्लवी जी, आप सभी के स्नेह मिला मैं धन्य हो गया. बहुत -२ शुक्रिया.
ReplyDeleteबहुत खूब,
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा है आपने !!
शुक्रिया
Deleteबहुत सुन्दर..... बहुत -२ शुक्रिया.
ReplyDeleteआपका हार्दिक अभिनन्दन
Deleteबढ़िया गजल ||
ReplyDeleteमेहरबानी आदरणीय रविकर SIR
Deleteसच कहना है इनका,बस है यह अनमोल खजाना
ReplyDeleteजीवन की हर खुशियाँ तज कर,यह दौलत है पाना,,,,,,,
सुंदर प्रस्तुति,,,,,,,
शुक्रिया धीरेन्द्र सर
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