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Sunday, June 24, 2012

हंसके देख ले मुझको

हंसके देख ले मुझको, सुहानी शाम बन जाऊं,
लगकर तेरे जख्मों पे, सुख की बाम बन जाऊं,
शुकूं को भर दूँ तुझमे , चैन मैं बक्श दूँ तुझमे,
तेरी खुशियों के लिए मैं एक इल्जाम बन जाऊं,
गिरे ठोकर जब तू खाकर,तेरी बाहों में मैं आकर, 
तेरी ताकत की खातिर, बेशक बादाम बन जाऊं,
ख़ुशी के रास्ते हमदम, हों तेरे वास्ते हरदम,
काँटों के सफ़र में मैं, गिरके आराम बन जाऊं, 
सफ़र तेरा हो चुनिंदा, न कोई कर सके निंदा,
मैं तेरे वास्ते दिलबर बस ऐसा काम कर जाऊं......

7 comments:

  1. संजय भास्करJune 24, 2012 at 11:27 AM

    ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है.....अरुण जी
    नई पोस्ट .....मैं लिखता हूँ पर आपका स्वगत है

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  2. अरुन शर्माJune 24, 2012 at 11:49 AM

    अभिवादन संजय भाई

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  3. दिगम्बर नासवाJune 24, 2012 at 1:24 PM

    वाह .. क्या बात है सच में किसी की लिए कुछ काम कर जाना ही जीवन है ...

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  4. Kailash SharmaJune 24, 2012 at 3:48 PM

    बहुत खूब ! बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...

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  5. अरुन शर्माJune 24, 2012 at 3:53 PM

    धन्यवाद SIR

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  6. Sunil KumarJune 24, 2012 at 5:37 PM

    बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..

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  7. अरुन शर्माJune 24, 2012 at 5:51 PM

    शुक्रिया सुनील जी

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