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Sunday, June 10, 2012

हौसला न मिला

टूटकर बिखरे ऐसे की फिर हौसला न मिला,
बेगुनाही का मेरे आज तक फैसला न मिला,
भटकता रहता हूँ दर-ब-बदर लाख ठोकरें खा,
तन्हा जिंदगी बिताने को एक घोंसला न मिला,
दूरियां बढती गयीं और वक़्त के साथ - साथ,
मगर यादों के चुभे काटों से फासला न मिला,
सुना है लोग कहतें थे, कि जिंदगी खोखली है,
बहुत ढूंढा पर वो सुराख़ कहीं खोखला न मिला......

4 comments:

  1. ऋता शेखर मधुJune 10, 2012 at 4:38 PM

    बहुत खूब...

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  2. अरुन शर्माJune 10, 2012 at 4:54 PM

    बहुत -२ शुक्रिया

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  3. dr.mahendragJune 10, 2012 at 5:24 PM

    ATI SUNDAR

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  4. अरुन शर्माJune 11, 2012 at 11:19 AM

    धन्यवाद SIR

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