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आइये आपका हृदयतल से हार्दिक स्वागत है

Friday, June 15, 2012

बात दिल की

बात दिल की निकल कर किताबों में आ गई,
वो आज रात फिर से मेरे खवाबों में आ गई,
मैंने पूंछा दिल से, दर्द की वजह है क्या,
उसकी सूरत नज़र मुझको जवाबों में आ गई,
मैंने सुना था कि होतें हैं फूल नाज़ुक, पर,
बड़ी बे-रहमियत अब गुलाबों में आ गई,
इक वो दवा, जो बे-मौत मार दे,
घुलकर इश्क से शबाबों में आ गई.........

5 comments:

  1. ब्लॉ.ललित शर्माJune 15, 2012 at 8:31 PM

    वाह वाह, बेहतरीन रचना पढने मिली, आज से हम आपके फ़ालोवर बन गए। मिलिए सुतनुका देवदासी और देवदीन रुपदक्ष से रामगढ में जहाँ रचा गया महाकाव्य मेघदूत।

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  2. अरुन शर्मा (अनन्त)June 16, 2012 at 11:35 AM

    बहुत -२ शुक्रिया ललित जी आपके भी ब्लॉग पर भ्रमण कर बड़ी प्रसंता हुई

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  3. Shanti GargJune 16, 2012 at 12:25 PM

    बहुत बेहतरीन रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  4. Reena MauryaJune 16, 2012 at 7:09 PM

    बहुत ही सुन्दर,,,
    :-)

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  5. alka narulaAugust 28, 2012 at 2:35 PM

    beautiful lines !

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