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Monday, June 11, 2012

खुद को किसी ओर ले चलें

चलो जिंदगी को तूफानी डगर की ओर ले चलें,
समंदर को उठा , अपने शहर की ओर ले चलें,
भर गया है अँधेरा, गलियों में बहुत ज्यादा,
रवि से मांग रोशिनी अपने घर की ओर ले चलें,
बढ ना जाए नफरतों का दौर दिन - ब - दिन,
मोहोब्बत का मतलब अब नज़र ओर ले चलें.....

4 comments:

  1. ऋता शेखर मधुJune 11, 2012 at 6:01 PM

    भर गया है अँधेरा, गलियों में बहुत ज्यादा,
    रवि से मांग रोशनी अपने घर की ओर ले चलें,

    सुंदर पंक्तियाँ !!!

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  2. सतीश सक्सेनाJune 11, 2012 at 9:33 PM

    बहुत खूब ....

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  3. अरुन शर्माJune 13, 2012 at 12:51 PM

    बहुत बहुत शुक्रिया

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  4. Reena MauryaJune 13, 2012 at 1:50 PM

    बहुत ही सुन्दर रचना...
    नफरत में क्या रक्खा है
    मोहब्बत साथ होनी चाहिए...

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