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Saturday, June 9, 2012

सांसों के तहखाने

खिलौने दर्द के खुशियों के खजाने में आ गये,
आज हम भी तेरी नज़रों के निशाने में आ गए,
मैंने कश्ती अभी- अभी समंदर में थी उतारी,
वो तूफ़ान साथ ले, मेरे ठिकाने में आ गए,
बक्शी जहग ज़रा सी दिल में अपने उसको,
वो ना जाने कब सांसों के तहखाने में आ गए.......

2 comments:

  1. Shah NawazJune 9, 2012 at 5:05 PM

    Achchi gazal...

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  2. अरुन शर्माJune 9, 2012 at 5:08 PM

    धन्यवाद भाईजान

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