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Sunday, May 20, 2012

क्या पाया ? क्या खोया ?

रिश्तों को बेंच कर खूब दौलत थी कमाई,
हिस्से में आज लेकिन दो गज जमीन आई,
रोज़ पहने बहुत मैंने महंगे- महंगे कपडे,
पर कफ़न की एक चादर सिर्फ मेरे काम आई...

 

2 comments:

  1. Reena MauryaMay 21, 2012 at 8:25 PM

    पैसों की कमी के साथ रिश्तों की कमी भी जरुरी है..
    बहुत ही सुन्दर रचना...

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  2. अरुन शर्माMay 22, 2012 at 1:58 PM

    धन्यवाद रीना जी

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