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Friday, May 18, 2012

तेरी यादें

क्यूँ मुझमे बस्ती हैं तेरी यादें,
क्या इतनी सस्ती हैं तेरी यादें,
मुझे रुलाकर हंसती हैं तेरी यादें,
जख्मी बाहों में कसती हैं तेरी यादें, 

मुझे हर पल डंसती हैं तेरी यादें,
साँसों में अक्सर फंसती हैं तेरी यादें,
तीर से ज्यादा धंसती हैं तेरी यादें,
तेरी जैसी हैं तेरी यादें,
बहुत वैशी हैं तेरी
यादें.........
मारती जिन्दा हैं तेरी यादें,
करती निन्दा हैं तेरी यादें.....

2 comments:

  1. M VERMAMay 18, 2012 at 9:55 PM

    यादें तो यादें हैं यादों का क्या

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  2. अरुन शर्माMay 19, 2012 at 4:58 PM

    बिलकुल सही कहा SIR आपने.

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