लेकर जी रहा हूँ कमजोर दिल सीने में,
लगता है मुसीबत होनी है अब जीने में,
छाया है घना बदल बरसात ले पलकों पे,
तकलीफ दे, तेरी तस्वीर नज़रों से पीने में, टूटी दिवार बिखरीख्वाइशों की जिंदगी में, मैं अब गम तौलता हूँ फुर्सत के महीने में...
2 comments:
NasirMay 11, 2012 at 6:32 PM
Waah!! Loved it...especially the end.. :)
Keep Blogging!
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Arun SharmaMay 12, 2012 at 11:26 AM
Thank you so much
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आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर
Waah!! Loved it...especially the end.. :)
ReplyDeleteKeep Blogging!
Thank you so much
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