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Thursday, May 10, 2012

सलाह-मशवरा

दर्द जख्मों से सलाह-मशवरा करता है,
गम मुझपे दिलो-जान से मरा करता है,
आँखें गिराती हैं रिमझिम बूंदें बरसात की, 
अश्क इतना कहाँ से आखों में भरा करता है,
तूने छोड़ा इधर,उधर खुशियों ने बेदखल किया,
मुरझाया होंठ भी अब हंसी से डरा करता है.....

2 comments:

  1. NasirMay 11, 2012 at 6:35 PM

    Waah !!

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  2. Arun SharmaMay 12, 2012 at 11:27 AM

    बहुत बहुत शुक्रिया

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