Pages

आइये आपका हृदयतल से हार्दिक स्वागत है

Friday, May 11, 2012

जख्म

दर्द राज़ी और जख्म सहमत है,
मुझपर मेरे प्यार की रहमत है,
लहू गुस्से में है दौड़ता नस में,
लगता है आज आई मेरी शामत है,
मैं शिकार जुल्म का हो चूका हूँ,
मेरी खुशियों पे लगी तोहमत है,
बचूं कैसे जब दिल ही दुश्मन हो ,
मुझे लूट रही मेरी ही मोहोब्बत है,
मुश्किलें टूट पड़ी मुझे कमजोर समझ,
हालत मेरी बयां करती हकीकत है.....

2 comments:

  1. Kailash SharmaMay 11, 2012 at 8:24 PM

    बहुत खूब !

    ReplyDelete
  2. Arun SharmaMay 12, 2012 at 11:27 AM

    बहुत बहुत शुक्रिया

    ReplyDelete
Add comment
Load more...

आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर