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Sunday, May 6, 2012

दिल की बात

आज लिख के दिल की बात किताबों में रख गया,
तू नीदं में आई याद तो तुझे ख्वाबों में रख गया, 
उलझी बुरी तरह जब सवालों से जिंदगी,
समेटे सभी सवाल और जवाबों में रख गया,
चिरागों का उजाला ज़रा फीका जो हुआ,
अंधेरों को रौशनी के नकाबों में रख गया,
फूलों के रास्ते पर जो कांटें मुझे मिले,
जख्मों के डर से इनको गुलाबों में रख गया.....

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