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Monday, September 30, 2013

ग़ज़ल : हमारा प्रेम होता जो कन्हैया और राधा सा

ग़ज़ल
(बह्र: हज़ज़ मुसम्मन सालिम )
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन
..........................................................

अयोध्या में न था संभव जहाँ कुछ राम से पहले,
वहीँ गोकुल में कुछ होता न था घनश्याम से पहले,

बड़े ही प्रेम से श्री राम जी लक्ष्मण से कहते हैं,
अनुज बाधाएँ आती हैं भले हर काम से पहले,

समर्पित गोपियों ने कर दिया जीवन मुरारी को,
नहीं कुछ श्याम से बढ़कर नहीं कुछ श्याम से पहले,

हमारा प्रेम होता जो कन्हैया और राधा सा,
समझ लेते ह्रदय की भावना पैगाम से पहले,

भले लक्ष्मी नारायण कहता है संसार हे राधा,
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले....

20 comments:

  1. दिगम्बर नासवाSeptember 30, 2013 at 1:50 PM

    समर्पित गोपियों ने कर दिया जीवन मुरारी को,
    नहीं कुछ श्याम से बढ़कर नहीं कुछ श्याम से पहले,..

    बहुत ही सुन्दर शेर .... सभी शेर राम ओर कृष्ण की पृष्ठभूमि पे लिखे नए अंदाज़ के शेर हैं ... लाजवाब ...

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  2. दिल की आवाज़September 30, 2013 at 2:10 PM

    अरुण जी बहुत बढ़िया गजल ... सुन्दर भाव सहित , हार्दिक बधाई !!!

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  3. राजेंद्र कुमारSeptember 30, 2013 at 4:17 PM

    सुन्दर भाव सहित बहुत बढ़िया गजल,लाजवाब.

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  4. रविकरSeptember 30, 2013 at 4:51 PM

    सुन्दर गजल-
    शुभकामनायें-

    बाधा हरते श्याम कब, हैं अपने में लीन |
    कितनी सारी रानियाँ, राधा प्रेम प्रवीन |
    राधा प्रेम प्रवीन, साँवरे व्यस्त हुवे हैं |
    खाई हमने मात, खुदे उस ओर कुंए हैं |
    खाईं खन्दक ढेर, नहीं अब जाए साधा |
    दिखे युद्ध आसन्न, महाभारत की बाधा |

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  5. रविकरSeptember 30, 2013 at 4:53 PM

    आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।। त्वरित टिप्पणियों का ब्लॉग ॥

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  6. सरिता भाटियाSeptember 30, 2013 at 5:31 PM

    शानदार गजल के लिए ढेरों बधाई

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  7. Sushil Kumar JoshiSeptember 30, 2013 at 6:27 PM

    बहुत सुंदर !

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  8. Reena MauryaSeptember 30, 2013 at 7:00 PM

    बहुत ही शानदार गजल....
    :-)

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  9. Rajesh KumariSeptember 30, 2013 at 9:15 PM

    आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १/१० /१३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है।

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  10. धीरेन्द्र सिंह भदौरियाSeptember 30, 2013 at 9:47 PM

    बहुत बढ़िया,लाजबाब शेर !

    RECENT POST : मर्ज जो अच्छा नहीं होता.

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  11. Virendra Kumar SharmaOctober 1, 2013 at 8:17 AM


    अयोध्या में न था संभव जहाँ कुछ राम से पहले,
    वहीँ गोकुल में कुछ होता न था घनश्याम से पहले,

    बड़े ही प्रेम से श्री राम जी लक्ष्मण से कहते हैं,
    अनुज बाधाएँ आती हैं भले हर काम से पहले,

    समर्पित गोपियों ने कर दिया जीवन मुरारी को,
    नहीं कुछ श्याम से बढ़कर नहीं कुछ श्याम से पहले,

    हमारा प्रेम होता जो कन्हैया और राधा सा,
    समझ लेते ह्रदय की भावना पैगाम से पहले,



    भले लक्ष्मी नारायण कहता है संसार हे राधा,
    तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले....

    बहुत सशक्त सौद्देश्य प्रस्तुति -कहाँ राधाकृष्ण का दिव्य प्रेम और उनकी योगमाया और कहाँ हम अनंत भाई। राधा कृष्ण का विलास हैं निजी शक्ति हैं पर्सनल पावर हैं सीता राम की हैं।

    न राधा श्याम से पहले, न सीता राम से पहले ,

    यही है योगमाया न इससे और कुछ पहले।

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  12. Laxman BishnoiOctober 1, 2013 at 12:08 PM

    हमारा प्रेम होता जो कन्हैया और राधा सा,
    समझ लेते ह्रदय की भावना पैगाम से पहले,
    वाह वाह बहुत खूब
    बचपन

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  13. प्रवीण पाण्डेयOctober 1, 2013 at 1:15 PM

    अहा, बहुत सुन्दर

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  14. pratibha sowatyOctober 1, 2013 at 1:55 PM

    राधा स्वीकार !
    क्रष्ण मनुहार है !
    जयकार है !

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  15. Mukesh Kumar SinhaOctober 1, 2013 at 3:29 PM

    meter se naap kar gagal likhna koi tumse seekhe :)
    tum to guru ho bhai........

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  16. कालीपद प्रसादOctober 1, 2013 at 7:12 PM

    बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल
    नवीनतम पोस्ट मिट्टी का खिलौना !
    नई पोस्ट साधू या शैतान

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  17. Virendra Kumar SharmaOctober 2, 2013 at 9:55 AM

    शुक्रिया अनंत भाई आपकी सादर टिप्पणियों का। आप बहुत अच्छा काम कर रहें हैं महनत से।

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  18. राजीव कुमार झाOctober 2, 2013 at 2:16 PM

    बहुत सुन्दर .
    नई पोस्ट : भारतीय संस्कृति और कमल
    नई पोस्ट : पुरानी डायरी के फटे पन्ने

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  19. राजीव कुमार झाOctober 2, 2013 at 2:16 PM

    इस पोस्ट की चर्चा, बृहस्पतिवार, दिनांक :-03/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -15 पर.
    आप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा

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  20. कविता रावतOctober 8, 2013 at 11:41 PM

    हमारा प्रेम होता जो कन्हैया और राधा सा,
    समझ लेते ह्रदय की भावना पैगाम से पहले,
    ..बहुत सुन्दर प्रेम भाव ...

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