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Sunday, June 16, 2013

ग़ज़ल : शीर्षक पिता

 "पितृ दिवस" पर सभी पिताओं को सादर प्रणाम नमन, सभी पिताओं को समर्पित एक ग़ज़ल.

ग़ज़ल : शीर्षक पिता
बह्र :हजज मुसम्मन सालिम
......................................................

घिरा जब भी अँधेरों में सही रस्ता दिखाते हैं ।
बढ़ा कर हाँथ वो अपना मुसीबत से बचाते हैं ।।

बड़ों को मान नारी को सदा सम्मान ही देना ।
पिता जी प्रेम से शिक्षा भरी बातें सिखाते हैं ।।

दिखावा झूठ धोखा जुर्म से दूरी सदा रखना ।
बुराई की हकीकत से मुझे अवगत कराते हैं ।।

सफ़र काटों भरा हो पर नहीं थकना नहीं रुकना ।
बिछेंगे फूल क़दमों में अगर चलते ही जाते हैं ।।

ख़ुशी के वास्ते मेरी दुआ हरपल करें रब से ।
जरा सी मांग पर सर्वस्व वो अपना लुटाते हैं ।।

मुसीबत में फँसा हो गर कोई बढ़कर मदद करना ।
वही इंसान हैं इंसान के जो काम आते हैं ।।

17 comments:

  1. कालीपद प्रसादJune 16, 2013 at 9:52 PM

    bahut achchhi prastuti !

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  2. Shalini RastogiJune 16, 2013 at 11:33 PM

    बहुत ही हृदयस्पर्शी एवं भावपूर्ण प्रस्तुति .. हरेक शेर सीधा दिल से निकला हुआ लग रहा है .. पितृ दिवस की शुभकामनाएँ !

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  3. प्रवीण पाण्डेयJune 17, 2013 at 9:11 AM

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

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  4. संगीता स्वरुप ( गीत )June 17, 2013 at 10:09 AM

    बहुत सुंदर गज़ल .... पिता हर बुराई से बचने की सलाह देते हैं ।

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  5. धीरेन्द्र सिंह भदौरियाJune 17, 2013 at 10:53 AM

    बहुत सुंदर भावपूर्ण गजल,,

    RECENT POST: जिन्दगी,

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  6. नीरज गोस्वामीJune 18, 2013 at 12:28 PM

    Behtariin Ghazal...Daad kabool karen

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  7. दिगम्बर नासवाJune 18, 2013 at 12:51 PM

    पिता को समर्पित गज़ल बहुत ही लाजवाब है ... पिता एक बरगद की तरह रहते हैं जीवन में ... हर शेर कमाल का है ...

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  8. Manjusha pandeyJune 18, 2013 at 6:49 PM

    सुंदर लव्जों में एक बेहतरीन गजल

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  9. ज्योति-कलशJune 19, 2013 at 10:27 AM

    बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ....

    ज्योत्स्ना शर्मा

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  10. Neeraj KumarJune 21, 2013 at 9:23 AM

    bahut hi sundar gajal. bahut lajawab..

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  11. Virendra Kumar SharmaJune 23, 2013 at 5:56 AM


    दिखावा झूठ धोखा जुर्म से दूरी सदा रखना ।
    बुराई की हकीकत से मुझे अवगत कराते हैं ।।

    दिखावा झूठ धोखा जुर्म से दूरी सदा रखना ।
    बुराई की हकीकत से मुझे अवगत कराते हैं ।।

    पिता की सीख हर दम काम आती है ,

    मोहब्बत का लिए पैगाम आती है .

    बहुत खूबसूरत बंदिश .शुक्रिया हमारी रचना को चर्चा मंच में बिठाने का .

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  12. ZEALJune 23, 2013 at 9:33 AM

    bahut sundar

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  13. हिंदी साहित्य मार्गदर्शनJune 23, 2013 at 6:26 PM

    बड़ों को मान नारी को सदा सम्मान ही देना ।
    पिता जी प्रेम से शिक्षा भरी बातें सिखाते हैं ।।

    दिखावा झूठ धोखा जुर्म से दूरी सदा रखना ।
    बुराई की हकीकत से मुझे अवगत कराते हैं ।।

    These lines are really great!! Many congratulations.

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  14. प्रसन्न वदन चतुर्वेदीJune 24, 2013 at 12:30 AM

    सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

    @मेरी बेटी शाम्भवी का कविता-पाठ

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  15. संजय भास्‍करJune 26, 2013 at 2:39 PM

    सुंदर लव्जों में एक बेहतरीन गजल
    @ congratulations. Arun bhai

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  16. राज चौहानJune 28, 2013 at 6:00 AM

    हर शेर कमाल का है

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  17. Reena MauryaJuly 20, 2013 at 2:19 PM

    बहुत ही बेहतरीन गजल...
    :-)

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