"पितृ दिवस" पर सभी पिताओं को सादर प्रणाम नमन, सभी पिताओं को समर्पित एक ग़ज़ल.
ग़ज़ल : शीर्षक पिता
बह्र :हजज मुसम्मन सालिम
......................................................
घिरा जब भी अँधेरों में सही रस्ता दिखाते हैं ।
बढ़ा कर हाँथ वो अपना मुसीबत से बचाते हैं ।।
बड़ों को मान नारी को सदा सम्मान ही देना ।
पिता जी प्रेम से शिक्षा भरी बातें सिखाते हैं ।।
दिखावा झूठ धोखा जुर्म से दूरी सदा रखना ।
बुराई की हकीकत से मुझे अवगत कराते हैं ।।
सफ़र काटों भरा हो पर नहीं थकना नहीं रुकना ।
बिछेंगे फूल क़दमों में अगर चलते ही जाते हैं ।।
ख़ुशी के वास्ते मेरी दुआ हरपल करें रब से ।
जरा सी मांग पर सर्वस्व वो अपना लुटाते हैं ।।
मुसीबत में फँसा हो गर कोई बढ़कर मदद करना ।
वही इंसान हैं इंसान के जो काम आते हैं ।।
ग़ज़ल : शीर्षक पिता
बह्र :हजज मुसम्मन सालिम
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घिरा जब भी अँधेरों में सही रस्ता दिखाते हैं ।
बढ़ा कर हाँथ वो अपना मुसीबत से बचाते हैं ।।
बड़ों को मान नारी को सदा सम्मान ही देना ।
पिता जी प्रेम से शिक्षा भरी बातें सिखाते हैं ।।
दिखावा झूठ धोखा जुर्म से दूरी सदा रखना ।
बुराई की हकीकत से मुझे अवगत कराते हैं ।।
सफ़र काटों भरा हो पर नहीं थकना नहीं रुकना ।
बिछेंगे फूल क़दमों में अगर चलते ही जाते हैं ।।
ख़ुशी के वास्ते मेरी दुआ हरपल करें रब से ।
जरा सी मांग पर सर्वस्व वो अपना लुटाते हैं ।।
मुसीबत में फँसा हो गर कोई बढ़कर मदद करना ।
वही इंसान हैं इंसान के जो काम आते हैं ।।
bahut achchhi prastuti !
ReplyDeleteबहुत ही हृदयस्पर्शी एवं भावपूर्ण प्रस्तुति .. हरेक शेर सीधा दिल से निकला हुआ लग रहा है .. पितृ दिवस की शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteबहुत सुंदर गज़ल .... पिता हर बुराई से बचने की सलाह देते हैं ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण गजल,,
ReplyDeleteRECENT POST: जिन्दगी,
Behtariin Ghazal...Daad kabool karen
ReplyDeleteपिता को समर्पित गज़ल बहुत ही लाजवाब है ... पिता एक बरगद की तरह रहते हैं जीवन में ... हर शेर कमाल का है ...
ReplyDeleteसुंदर लव्जों में एक बेहतरीन गजल
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteज्योत्स्ना शर्मा
bahut hi sundar gajal. bahut lajawab..
ReplyDelete
ReplyDeleteदिखावा झूठ धोखा जुर्म से दूरी सदा रखना ।
बुराई की हकीकत से मुझे अवगत कराते हैं ।।
दिखावा झूठ धोखा जुर्म से दूरी सदा रखना ।
बुराई की हकीकत से मुझे अवगत कराते हैं ।।
पिता की सीख हर दम काम आती है ,
मोहब्बत का लिए पैगाम आती है .
बहुत खूबसूरत बंदिश .शुक्रिया हमारी रचना को चर्चा मंच में बिठाने का .
bahut sundar
ReplyDeleteबड़ों को मान नारी को सदा सम्मान ही देना ।
ReplyDeleteपिता जी प्रेम से शिक्षा भरी बातें सिखाते हैं ।।
दिखावा झूठ धोखा जुर्म से दूरी सदा रखना ।
बुराई की हकीकत से मुझे अवगत कराते हैं ।।
These lines are really great!! Many congratulations.
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDelete@मेरी बेटी शाम्भवी का कविता-पाठ
सुंदर लव्जों में एक बेहतरीन गजल
ReplyDelete@ congratulations. Arun bhai
हर शेर कमाल का है
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन गजल...
ReplyDelete:-)