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नारियों को समर्पित
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दुखदाई यह वेदना, बेहद घृणित प्रयत्न ।
दुर्जन प्राणी खो रहे, कन्या रूपी रत्न ।।
सच्ची बातों का बुरा, लगता है लग जाय ।
स्तर गिरा है पशुओं से, रहे मनुष्य बताय ।।
नारी से ही घर चले, नारी से संसार ।
नारी ही इस भूमि पे, जीवन का आधार ।।
माता पत्नी बेटियाँ, सब नारी के रूप ।
नारी जगदम्बा स्वयं, नारी शक्ति स्वरुप ।।
कन्या को क्यूँ पेट में, देते हो यूँ मार ।
बिन कन्या के यह धरा, ज्यों बंजर बेकार ।।
विनती है तुम हे प्रभू, ऐसा करो उपाय ।
बुरी दृष्टि जो जो रखे, नेत्रहीन हो जाय ।।
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बच्चों को समर्पित
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पढ़ लिख कर आगे बढ़ें, बनें नेक इन्सान ।
अच्छी शिक्षा जो मिले, बच्चें भरें उड़ान ।।
बच्चे कोमल फूल से, बच्चे हैं मासूम ।
सुमन भाँति ये खिल उठें, बनो धूप लो चूम ।।
देखो बच्चों प्रेम ही, जीवन का आधार ।
सज्जन को सज्जन करे, सज्जन का व्यवहार ।।
मजबूती जो नीव में, सदियों चले मकान ।
शिक्षा मात्र उपाय जो, करती दूर थकान ।।
आते देखे भोर को, भागा तामस जाय ।
सुख उसके ही साथ हो, दुख में जो मुस्काय ।।
सच्चाई की राह में, काँटे हैं भरपूर ।
अच्छी बातें सीख लो, करो बुराई दूर ।।
नारियों को और बच्चों को समर्पित सभी दोहे बहुत उत्तम हैं।
ReplyDeleteसोच नहीं होती उसकी ..कि ...
ReplyDeleteहै वो इक बेचारी
हार नहीं माना जिसने
कहलाती वही नारी
ReplyDeleteनारी से ही घर चले, नारी से संसार ।
नारी ही इस भूमि पे, जीवन का आधार ।।
ध्रुव सत्य
अप्रतिम रचना...
वाह वाह अरुण जी !!! बहुत उम्दा प्रेरक सुंदर दोहे ,आभार
ReplyDeleteRecent Post : अमन के लिए.
सुन्दर प्रस्तुति . आभार नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें रिश्तों पर कलंक :पुरुष का पलड़ा यहाँ भी भारी .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1
ReplyDeleteलाजवाब दोहे रचे ,सबके मन को भाय
ReplyDeleteदेख सवेरा सामने ,रात ठहर ना पाय
नारी और बच्चों पर बहुत ही बेहतरीन लाजबाब दोहे हैं मित्रवर,आपका आभार.
ReplyDeleteअरुण जी बहुत बढ़िया दोहे ... युहीं अच्छा अच्छा लिखते रहो ताकि हम अच्छा अच्छा पढ़ते रहें .. धन्यवाद
ReplyDeleteसच्चाई की राह में कांटे हैं भरपूर ।
ReplyDeleteअच्छी बातें सीख लो, करो बुराई दूर ।।
बहुत ही सच्ची बात
अच्छे लगे सभी दोहे
बढ़िया दोहे
ReplyDeleteशब्दों की मुस्कुराहट पर …..मैं अकेला चलता हूँ
प्रत्येक दोहा अपने आप में अनमोल है ..वाह अरुण जी ... प्रशंसा के लिए शब्द ही कम पड़ गए हैं !
ReplyDeleteबहुत लाजवाब हैं सभी दोहे अरुण जी ...
ReplyDeletebahut sunder dohe !
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (03-06-2013) के :चर्चा मंच 1264 पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
ReplyDeleteसूचनार्थ |
सभी दोहे भाव और अभिव्यक्ति में अनुपम है ,बधाई अरुण जी .
ReplyDeleteLATEST POSTअनुभूति : विविधा ३
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श्रेष्ठ लेखन के लिए बधाई स्वीकार करें अरूण जी !
ReplyDeleteसभी दोहे बहुत ही सुंदर और सार्थक हैं।