काटों भरी डगर है जीवन का पथ खुदा है,
गंभीर ये समस्या हल आज लापता है,
अंधा समाज बैरी इंसान खुद खुदी का,
अनपढ़ से भी है पिछड़ा, वो जो पढ़ा लिखा है,
धोखाधड़ी में अक्सर मसरूफ लोग देखे,
ईमान डगमगाया इन्सां लुटा पिटा है,
तकदीर के भरोसे लाखों गरीब बैठे,
हिम्मत सदैव हारें इनकी यही खता है,
अपमान नारियों का करता रहा अधर्मी,
संसार आफतों का भण्डार हो चला है...
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति मित्रवर,अंधे की दुनियाँ में तकदीर का ही भरोसा.
ReplyDelete"स्वस्थ जीवन पर-त्वचा की देखभाल"
बहुत खूब गजल...
ReplyDeleteगंभीर ये समस्या हल आज लापता है...
ReplyDeleteविचारणीय चिंतन...
बहुत उम्दा सुंदर प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleteRecentPOST: रंगों के दोहे ,
beshak, bhandar nahi bhandara hai,jivan khud se hi hara
ReplyDeletehai, abhishpt ho gya jiavn ab,beshk takdir ka mara hai,
bahut khoob
uchit sandesh deti hai aap ki post,umda likha hai aap ne
ReplyDeleteधोखाधड़ी में अक्सर मसरूफ लोग देखे,
ReplyDeleteईमान डगमगाया इन्सां लुटा पिटा है,..
बहुत खूब ... पंकज जी के ब्लॉग पर भी पढ़ी ये गज़ल .... लाजवाब शेर हैं सभी अरुण जी ...
"धोखाधड़ी में .... वाह बहुत खूब
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