Friday, January 18, 2013
खरामा - खरामा
18 comments:
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सदाJanuary 19, 2013 at 10:49 AM
वाह ... बेहतरीन
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अरुन शर्मा "अनंत"January 19, 2013 at 11:26 AM
आभार सदा दी
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दिगम्बर नासवाJanuary 19, 2013 at 1:58 PM
शरम का ख़तम दौर हो सा गया,
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खरामा - खरामा मची गन्दगी,..
बहुत खूब ... सच है की शर्म खत्म हो गई है अब ...
सार्थक लिखा है ...Replies-
अरुन शर्मा "अनंत"January 19, 2013 at 2:39 PM
आभार आदरणीय दिगम्बर सर
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Virendra Kumar SharmaJanuary 19, 2013 at 2:19 PM
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जुबां पे रखी स्वाद की गोलियां,
खरामा - खरामा जहर सी लगी.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ,खरामा खरामा है दिल को लगी ,ये दिल की लगी ,कही अनकही ,सभी बतकही ,Replies-
अरुन शर्मा "अनंत"January 19, 2013 at 2:39 PM
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय वीरेंद्र सर
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संजय भास्करJanuary 19, 2013 at 5:37 PM
क्या बात है अरुन जी वाह
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खरामा - खरामाReplies-
अरुन शर्मा "अनंत"January 20, 2013 at 2:17 PM
हार्दिक आभार भ्राताश्री संजय जी
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शिवनाथ कुमारJanuary 19, 2013 at 8:41 PM
जुबां पे रखी स्वाद की गोलियां,
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खरामा - खरामा जहर सी लगी.
बहुत खूब ,,,,,,
खरामा-खरामा आपने कितना कुछ कह दिया ,,,
सार्थक रचना !Replies-
अरुन शर्मा "अनंत"January 20, 2013 at 2:17 PM
धन्यवाद शिवनाथ कुमार जी
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कहे बात मन की खरामा खरामा |
ReplyDeleteजमाने वतन की खरामा खरामा ||
अरुण जब अकेले गजल पढ़ रहा है-
चला कौन आये खरामा खरामा ||
मात्रा का दोष नहीं है ना -
वाह कमाल धमाल बेमिसाल गुरुदेव मज़ा आ गया क्या बात है, अनेक-अनेक धन्यवाद. मात्रा का दोष बिलकुल नहीं है सर.सादर
Deleteआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
ReplyDeleteधन्यवाद सर अनेक-अनेक धन्यवाद लिंक - लिक्खाड़ पर स्थान देने हेतु.
Deleteकमाल की प्रस्तुति अरुनजी,,,क्याबात है
ReplyDeleterecent post : बस्तर-बाला,,,
आभार आदरणीय धीरेन्द्र सर
Deleteजुबां पे रखी स्वाद की गोलियां,
ReplyDeleteखरामा - खरामा जहर सी लगी.
भाई सही लिखा कभी कभी मीठी गोली भी कडवी लगती है,खरामा खरामा बहुत ही सुंदर।
धन्यवाद राजेंद्र जी
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