हो रहा शैतान आदम,
कोयले की खान आदम,
जंतु से हैवान आदम,
जान कर अंजान आदम,
बो रहा अपमान आदम,
क्या खुदा भगवान आदम???
मौज में सारे कुकर्मी,
क्या खुदा भगवान आदम???
बहुत खूब , सुन्दर ,,,
आभार मित्रवर
हटाएंSAMSAMYEEK SANDARH KO UKERTI PRASTUTI
प्रत्युत्तर देंहटाएंआदरणीया मधु जी धन्यवाद
हटाएंखो रहा पहचान आदम,
हो रहा शैतान आदम,
सटीक पंक्तियाँ
आदरणीया मोनिका जी आभार
हटाएंसटीक पंक्तियाँ
प्रत्युत्तर देंहटाएंवाह, छोटी सी गज़ल में इतनी बड़ी बात !!!
सभ्यता विकसित हुई यूँ
खो रहा मुस्कान आदम
आदरणीय गुरुदेव श्री आप आये बहार आई स्नेह यूँ ही बनाये रखें.
हटाएंसार्थक और बेहतरीन रचना.... क्या खुदा भगवान आदम
प्रत्युत्तर देंहटाएंबहुत सही लिखा आपने!
आदमी में आदमीयत खत्म होती जा रही है।
आदरणीय शास्त्री सर आपकी टिपण्णी ह्रदय में उर्जा प्रवाहित करती है, आशीष यूँ ही बनाये रखें. सादर
हटाएंसचमुच आदमी इंसानियत भूल चुका है, इंसान से शैतान बन गया है... सटीक अभिव्यक्ति
प्रत्युत्तर देंहटाएंसच को कहती बेहतरीन रचना।।।
:-)
ग़ालिब का एक शेर याद आ गया ...
मौत का एक दिन मुऐयन है ... नींद क्यों रात भर नहीं आती ....
बेवजह नारी पर अपनी ताकत दिखाने वाले ....इंसान कब रहते है
वो जानवर से भी बदतर हो जाते हैं
आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 23/01/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
प्रत्युत्तर देंहटाएंधन्यवाद यशोदा दी
हटाएंमौज में सारे कुकर्मी,
प्रत्युत्तर देंहटाएंक्या खुदा भगवान आदम
सामयिक - सार्थक रचना
शुभकामनायें !!
आभार माँ जी
हटाएंवाह!
प्रत्युत्तर देंहटाएंआपकी यह प्रविष्टि को कल दिनांक 21-01-2013 को सोमवारीय चर्चामंच पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
अनेक-अनेक धन्यवाद ‘ग़ाफ़िल’सर
हटाएंसमाज के कुछ हैवानो के चलते मनुष्य की तुलना अब शैतानो से की जा रही है,यह सच है की अब आदमीयत दिन पर दिन कम होता जा रहा है। बहुत ही सार्थक प्रस्तुती।
प्रत्युत्तर देंहटाएंराजेंद्र भाई शुक्रिया
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