आदरणीय श्री अरुण कुमार निगम सर के द्वारा संशोधित कुण्डलिया प्रथम प्रयास
सोवत जागत हर पिता, करता रहता जाप,
रखना बिटिया को सुखी, हे नारायण आप
रखना बिटिया को सुखी, हे नारायण आप
हे नारायण आप , कृपा अपनी बरसाना
मिले मान सम्मान,मिले ससुराल सुहाना
मिले मान सम्मान,मिले ससुराल सुहाना
बीते जीवन नित्य,प्रेम के पुष्प पिरोवत
अधरों पर मुस्कान,सदा हो जागत सोवत
बहुत अच्छा प्रयास..बेहद प्रभावपूर्ण बन पड़ी है आपकी कुण्डलिय
प्रत्युत्तर देंहटाएंशुक्रिया शालिनी
हटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति,,,,
प्रत्युत्तर देंहटाएंआज दहेज का रोग भयंकर , घर-घर कैसे दौड रहा,
कितने पिता बेटी की खातिर,मरने को मजबूर हो रहा!
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recent post : नववर्ष की बधाई
वाह क्या बात है धीरेन्द्र सर धन्यवाद
हटाएंsundar bhavo ko samete prastuti
प्रत्युत्तर देंहटाएंआदरणीया मधु जी आपकी सराहना पाके ह्रदय प्रसन्न हो गया आभार
हटाएंबेहद प्रभावपूर्ण
प्रत्युत्तर देंहटाएंधन्यवाद संजय भाई
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