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रविवार, 1 दिसंबर 2013

दो गज़लें : अरुन शर्मा 'अनन्त'

कहानी प्रेम की लिख दो,
ह्रदय का पृष्ठ सादा है,

यही दिल की तमन्ना है,
तुम्हारा क्या इरादा है,

सुनो पर छोड़ मत देना,
इसी का डर जियादा है,

कभी ये कह न देना तुम,
कि वादा सिर्फ वादा है,

जुए की तुम महारानी,
बेचारा दिल तो प्यादा है....
...........................................................................................
गिला शिकवा शिकायत है,
मुहब्बत पर निहायत है,

खुदा का है करम लेकिन,
तुम्हारी भी इनायत है,

कभी मेरी खिलाफत तो,
कभी मेरी हिमायत है,
(हिमायत - तरफदारी)

बुराई देखती हो तुम,
कभी देखो किफ़ायत है,
(किफ़ायत - गुण)

सदा दिल को दुखाने का,
तुम्हें हक़ है रियायत है....

9 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर गजलें-
    आभार प्रिय अरुण-

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  2. धीरेन्द्र सिंह भदौरिया1 दिसंबर 2013 को 7:27 pm

    वाह ! बहुत सुंदर गजल ...!
    ==================
    नई पोस्ट-: चुनाव आया...

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  3. behud pyari gazal hai...sada dil ko dukhane ka tumhe huqk hai,riyayat hai....wah..

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  4. bahut hi badhiyan gajal...
    :-)

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  5. सुशील कुमार जोशी1 दिसंबर 2013 को 9:55 pm

    बहुत सुंदर !

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  6. वाह बहुत सुन्दर ग़ज़लें ..

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  7. बेहद सुन्दर..बेहरीन गज़लें ...बधाई..अरुण जी..

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  8. नीलिमा शर्मा5 दिसंबर 2013 को 4:07 pm

    http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/ के शुक्रवारीय ६/१२/१३ अंक में आपकी रचना को शामिल किया जा रहा हैं कृपया अवलोकनार्थ पधारे ............धन्यवाद

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  9. कालीपद प्रसाद6 दिसंबर 2013 को 1:10 pm

    बढ़िया ग़ज़ल
    नई पोस्ट वो दूल्हा....
    latest post कालाबाश फल

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
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