(बह्र: खफीफ मुसद्दस मख्बून मक्तुअ)
२१२२-१२१२-२२
फाइलातुन मुफाइलुन फेलुन
प्यार का रोग दिल लगा लाया,
दर्द तकलीफ भी बढ़ा लाया,
याद में डूब मैं सनम खुद को,
रात भर नींद में जगा लाया,
तुम ही से जिंदगी दिवाने की,
साथ मरने तलक लिखा लाया,
चाँद तारों के शहर में तुमसे,
फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया,
तेरी अँखियों से लूट कर काजल,
मेघ घनघोर है घटा लाया.
दर्द तकलीफ भी बढ़ा लाया,
याद में डूब मैं सनम खुद को,
रात भर नींद में जगा लाया,
तुम ही से जिंदगी दिवाने की,
साथ मरने तलक लिखा लाया,
चाँद तारों के शहर में तुमसे,
फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया,
तेरी अँखियों से लूट कर काजल,
मेघ घनघोर है घटा लाया.
बहुत सुंदर रचना
प्रत्युत्तर देंहटाएंक्या बात
बहुत ही सुन्दर और सार्थक ग़ज़ल की रचना,धन्यबाद मित्रवर.
प्रत्युत्तर देंहटाएंअरुण जी बढ़िया ग़ज़ल ....
प्रत्युत्तर देंहटाएंचाँद तारों के शहर में तुमसे,
फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया,
तेरी अँखियों से लूट कर काजल,
मेघा घनघोर है घटा लाया.
बहुत बहुत बधाई !
नमस्कार !
प्रत्युत्तर देंहटाएंआपकी यह रचना कल बुधवार (29-05-2013) को ब्लॉग प्रसारण: अंक 10 पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
बहुत ही सुन्दर रचना।
प्रत्युत्तर देंहटाएंवाह....
प्रत्युत्तर देंहटाएंआँखों का काजल मेघों में....
बढ़िया ग़ज़ल....
अनु
वाह !!!बहुत बेहतरीन सुंदर गजल ,,
प्रत्युत्तर देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (29-05-2013) के सभी के अपने अपने रंग रूमानियत के संग ......! चर्चा मंच अंक-1259 पर भी होगी!
प्रत्युत्तर देंहटाएंसादर...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (29-05-2013) के सभी के अपने अपने रंग रूमानियत के संग ......! चर्चा मंच अंक-1259 पर भी होगी!
प्रत्युत्तर देंहटाएंसादर...!
बहुत उम्दा,लाजबाब गजल ,,
प्रत्युत्तर देंहटाएंRecent post: ओ प्यारी लली,
प्रत्युत्तर देंहटाएंप्रिय अरुण अनंत....
प्यार का रोग दिल लगा लाया,
दर्द तकलीफ भी बढ़ा लाया,
कौन बोला कि दिल लगा लाया
मुफ्त में दर्द को बढ़ा लाया.......................क्या करें , होता है, होता है...
याद में डूब मैं सनम खुद को,
रात भर नींद में जगा लाया,
मैं तो डूबा तुझे न बख्शूंगा
नाव मँझधार में फँसा लाया....................आशिकी का मजा तभी है जब--दोनों तरफ हो आग बराबर लगी हुई...........
तुम ही से जिंदगी दिवाने की,
साथ मरने तलक लिखा लाया,
बोल शुभ-शुभ मगर जरा हौले
भ्रात बल्ला नया-नया लाया....................भाई सुन लेगा तो हसरत अभ्भी ही पूरी कर देगा...............
चाँद तारों के शहर में तुमसे,
फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया,
प्यार का मर्म इसको कहते हैं
एक ही घूँट ने नशा लाया........................इस हालिएगज़ल वजनदार शेर के लिए दिली मुबारकबाद............
तेरी अँखियों से लूट कर काजल,
मेघा घनघोर है घटा लाया.
मोर नाचा हृदय के उपवन में
मोरनी साथ में बुला लाया.......................काजली घटा की छटा देख कर मन का मोर झूम उठा...................
प्यार का रोग दिल लगा लाया,
प्रत्युत्तर देंहटाएंदर्द तकलीफ भी बढ़ा लाया,
बेहतरीन गजल
God Bless U
waah bahut badhiya ..pyaar ka rog hota hi aisa hai ..
प्रत्युत्तर देंहटाएंबहुत सुन्दर गज़ल....
प्रत्युत्तर देंहटाएंअरुण जी बढ़िया ग़ज़ल
प्रत्युत्तर देंहटाएंजरूरी कार्यो के ब्लॉगजगत से दूर था
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ
प्यार का रोग दिल लगा लाया,
प्रत्युत्तर देंहटाएंदर्द तकलीफ भी बढ़ा लाया,
बेहतरीन गजल
:-)
वाह क्या कहने...
प्रत्युत्तर देंहटाएंबहुत उम्दा ग़ज़ल है ये तो!
bahtrin Gajal :)
प्रत्युत्तर देंहटाएंwah achhi,sarthak,saras gazal.....
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