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Virendra Kumar SharmaNovember 26, 2012 at 1:28 PM
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वश में धड़कन, नहीं रही,
दिल तो साँसे, गटक गया,
क्या बात अनंत अरुण जी ,दिल तो पागल है ,तुसी तो न बनो ,...बढ़िया लिख रहे हो दोस्त दिल से बचके रहना ,सुनों मत इसका कहना .Reply
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वाह,,,,बहुत सुंदर ,,,,
ReplyDeleterecent post : प्यार न भूले,,,
बहुत-2 शुक्रिया धीरेन्द्र सर
Delete-ओह
ReplyDeleteतो ऐसे भी बहर को एडजस्ट कर सकते हैं-
आभार अरुण जी ||
रविकर यह तो मुझे भी ज्ञात नहीं है की बहर को एडजस्ट कैसे करते हैं. जो दिल में आता है वही लिख लेता हूँ. अनेक-2 धन्यवाद....
Deleteबंजर भी हूँ, विरान भी,
ReplyDeleteहरियाली को, खटक गया,
...वाह! बहुत प्रभावी अहसास... सुंदर गजल
अनेक-2 धन्यवाद आदरणीय कैलाश सर
Deleteशानदार रचना.
ReplyDeleteबहुत-2 शुक्रिया अमित जी
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