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राज चौहानNovember 21, 2012 at 4:14 PM
बेहद सुन्दर ..... भाई अरुण जी
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संजय भास्करNovember 21, 2012 at 4:45 PM
बहुत ही उम्दा गजल.......अरुण जी मजा आ गया
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बहुत सच्चे भाव है अरुण भाई...पढ़कर अच्छा लगा.
ReplyDeleteबहुत-2 शुक्रिया मित्र निहार रंजन जी
Deleteवाह ... बेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteअनेक-2 धन्यवाद सदा दी
Deleteबेहद सुन्दर भाव पूर्ण प्रस्तुति ..शुभ कामनाएं भाई अरुण जी
ReplyDeleteबहुत-2 शुक्रिया श्रीप्रकाश भाई.
Deleteछलक जाता है आँखों से, सावन इन दिनों,
ReplyDeleteनसीबा टूटा है भारी है, मन इन दिनों,
सदा बेचैनी का, आलम मेरे साथ है,
उदासी आई फिर से, लिए उलझन इन दिनों,
क्यूँ है दिल में हलचल, ये भी मालुम नहीं,
नहीं माने मेरा कहना, धड़कन इन दिनों,
सावन भादों नैना भये पत्नारे से , अब तो धड़के है दिल भी किसी और के इशारे पर ...बढ़िया आगाज़े मोहब्बत है,अंजाम देखा जाएगा .
अनेक-2 धन्यवाद वीरेंद्र सर
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