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Friday, November 16, 2012

इन दिनों - भाग दो

छलक जाता है आँखों से, सावन इन दिनों,
नसीबा टूटा है भारी है, मन इन दिनों,

सदा बेचैनी का, आलम मेरे साथ है,
उदासी आई फिर से, लिए उलझन इन दिनों,

क्यूँ है दिल में हलचल, ये भी मालुम नहीं,
नहीं माने मेरा कहना, धड़कन इन दिनों,

बसी है आखों में, तेरी सूरत जादुई,
लुटा चाहत में है दिल का, उपवन इन दिनों,

हुआ है दिल जबसे जख्मी, जागा है दर्द,
सभी से हो बैठी, मेरी अनबन इन दिनों,

बुझी है जीवन की लौ रह-2 के हर घडी,
जला है सांसों का, सारा ईंधन इन दिनों।

24 comments:

  1. निहार रंजनNovember 16, 2012 at 1:24 PM

    बहुत सच्चे भाव है अरुण भाई...पढ़कर अच्छा लगा.

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 16, 2012 at 3:02 PM

      बहुत-2 शुक्रिया मित्र निहार रंजन जी

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  • सदाNovember 16, 2012 at 4:07 PM

    वाह ... बेहतरीन प्रस्‍तुति।

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 16, 2012 at 4:55 PM

      अनेक-2 धन्यवाद सदा दी

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  • Sriprakash DimriNovember 16, 2012 at 4:34 PM

    बेहद सुन्दर भाव पूर्ण प्रस्तुति ..शुभ कामनाएं भाई अरुण जी

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 16, 2012 at 4:56 PM

      बहुत-2 शुक्रिया श्रीप्रकाश भाई.

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  • Virendra Kumar SharmaNovember 16, 2012 at 5:30 PM

    छलक जाता है आँखों से, सावन इन दिनों,
    नसीबा टूटा है भारी है, मन इन दिनों,

    सदा बेचैनी का, आलम मेरे साथ है,
    उदासी आई फिर से, लिए उलझन इन दिनों,

    क्यूँ है दिल में हलचल, ये भी मालुम नहीं,
    नहीं माने मेरा कहना, धड़कन इन दिनों,
    सावन भादों नैना भये पत्नारे से , अब तो धड़के है दिल भी किसी और के इशारे पर ...बढ़िया आगाज़े मोहब्बत है,अंजाम देखा जाएगा .

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 17, 2012 at 11:32 AM

      अनेक-2 धन्यवाद वीरेंद्र सर

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  • सुमन कपूर 'मीत'November 16, 2012 at 6:27 PM

    Bahut badhiya..:)))

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 17, 2012 at 11:32 AM

      शुक्रिया सुमन जी

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  • Reena MauryaNovember 16, 2012 at 6:57 PM

    इन दिनों हाल बहुत गंभीर है..
    बहुत बढियां रचना...
    :-)

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 17, 2012 at 11:32 AM

      बहुत- शुक्रिया रीना बहन

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  • Rohitas ghorelaNovember 17, 2012 at 8:43 AM

    भाई साहब बहुत ही उम्दा गजल ... एक-एक शेर बेहद संजोया हुआ है।

    क्या कहने ....

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 17, 2012 at 11:33 AM

      बहुत-2 शुक्रिया रोहित भाई

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  • Virendra Kumar SharmaNovember 17, 2012 at 1:43 PM


    सदा बेचैनी का, आलम मेरे साथ है,
    उदासी आई फिर से, लिए उलझन इन दिनों,

    बहुत खूब !बहुत खूब !बहुत खूब !

    इब्तिदाए इश्क है रोता है क्या ,

    आगे आगे देखिये होता है क्या ?

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 17, 2012 at 1:46 PM

      ह्रदय के अन्तःस्थल से शुक्रिया वीरेंद्र सर

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    Reply
  • Kavita VermaNovember 17, 2012 at 7:19 PM

    bahut sundar sher hai...

    http://kahanikahani27.blogspot.in/

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 18, 2012 at 10:52 AM

      बहुत-2 शुक्रिया कविता जी

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  • shaliniNovember 19, 2012 at 5:26 PM

    दिल को सुकून रूह को आराम मिल जाए
    पास बैठे जो तू दो पल को ...इन दिनों

    भाई वाह अरुण..बहुत सुन्दर रचना!

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 19, 2012 at 5:37 PM

      हार्दिक आभार शालिनी जी.

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  • राज चौहानNovember 21, 2012 at 4:14 PM

    बेहद सुन्दर ..... भाई अरुण जी

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 21, 2012 at 5:36 PM

      शुक्रिया राज भाई बहुत-2 शुक्रिया

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  • संजय भास्करNovember 21, 2012 at 4:45 PM

    बहुत ही उम्दा गजल.......अरुण जी मजा आ गया

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 21, 2012 at 5:37 PM

      अनेक-2 धन्यवाद भ्राताश्री संजय जी

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