Pages

आइये आपका हृदयतल से हार्दिक स्वागत है

Friday, November 2, 2012

तुम्हे पाने की जिद

तुम्हे पाने की दिल में, उठी जो जिद नहीं होती,
दुनिया मेरी इस तरहा, लुटी हरगिज नहीं होती,

भीगी-भीगी आँखें हैं, सुबह से शाम तक यारों,
तेरी चाहत जो होती न, ये बारिश नहीं होती,

तेरी यादों का हर पल, मुझे बेचैन करता है,
मैं पागल कैसे होता, अगर साजिश नहीं होती,

हर पल अँधेरे से यूँ, दिलों के हैं भरे कमरें,
दिल के दर पे कोई, डोर जो बंदिश नहीं होती,

नादिर तेरी चाहत कैद है, दिन रात साँसों में,
ये दिल पत्थर यूँ होता न, जो रंजिश नहीं होती।।

नादिर - अनमोल

26 comments:

  1. रविकरNovember 2, 2012 at 11:04 AM

    बंदिश समझो बन्दगी, इधर उधर मत ताक ।

    बहु-तेरे है ताक में, तेरे आशिक-काक ।

    तेरे आशिक-काक, रंजिशे रविकर रखते ।

    रही उन्हीं की धाक, हमेशा साजिश करते ।

    बारिस में मत भीग, मिलेगा उन्हें बहाना ।

    मत कर जिद नादिरे, प्यार तेरा है पाना ।।

    ReplyDelete
    Replies
    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 2, 2012 at 11:06 AM

      वाह सर वाह मजा आ गया आपकी रोचक टिप्पणियां जब भी मिलती हैं ह्रदय गद-2 हो जाता है।

      Delete
    Reply
  • रविकरNovember 2, 2012 at 11:05 AM

    उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।

    ReplyDelete
    Replies
    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 2, 2012 at 11:08 AM

      तहे दिल से शुक्रिया रविकर सर

      Delete
    Reply
  • संजय भास्करNovember 2, 2012 at 12:42 PM

    बहुत सुन्दर अरुन जी...मन खुश हो गया पढ़ कर....बेहतरीन रचना

    ReplyDelete
    Replies
    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 2, 2012 at 1:00 PM

      बहुत-2 शुक्रिया संजय भाई

      Delete
    Reply
  • shaliniNovember 2, 2012 at 3:12 PM

    तेरी यादों का हर पल, मुझे बेचैन करता है,
    मैं पागल कैसे होता, अगर साजिश नहीं होती,.... बेहद खूबसूरत गज़ल

    हर पल तेरी याद ने यूँ दीवाना बना रखा है
    सारे आलम से ही बेगाना बना रखा है
    करने को सुबह-शाम,तेरी ही इबादत को ए सनम
    अपनी आँखों में हमने सनमखाना बना रखा है

    ReplyDelete
    Replies
    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 2, 2012 at 3:15 PM

      वाह शालिनी जी क्या बात है, उम्दा क्या कहना आपका

      Delete
    Reply
  • Madan Mohan SaxenaNovember 2, 2012 at 3:31 PM

    बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .

    ReplyDelete
    Replies
    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 3, 2012 at 11:41 AM

      बहुत- शुक्रिया सक्सेना सर

      Delete
    Reply
  • सदाNovember 2, 2012 at 4:07 PM

    वाह ... वाह ..बहुत ही बढिया लिखा है आपने ...
    बधाई

    ReplyDelete
    Replies
    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 3, 2012 at 11:35 AM

      बहुत-2 शुक्रिया सदा दीदी, यूँ ही अपना स्नेह अनुज पर बनाये रखें

      Delete
    Reply
  • dheerendra bhadauriyaNovember 2, 2012 at 5:14 PM

    वाह,,,बहुत खूब अरुन जी,,पढकर दिल खुश हो गया,,,,बधाई,,,,
    सभी ब्लॉगर परिवार को करवाचौथ की बहुत बहुत शुभकामनाएं,,,,,

    RECENT POST : समय की पुकार है,

    ReplyDelete
    Replies
    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 3, 2012 at 11:35 AM

      आदरणीय धीरेन्द्र सर अनेक-2 धन्यवाद.

      Delete
    Reply
  • Reena MauryaNovember 2, 2012 at 5:20 PM

    bahut hi badhiya gajal.....
    :-)

    ReplyDelete
    Replies
    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 3, 2012 at 11:35 AM

      धन्यवाद रीना जी

      Delete
    Reply
  • संध्या शर्माNovember 2, 2012 at 11:29 PM

    अगर दिल में जिद ना उठी होती तो इतनी खूबसूरत ग़ज़ल नहीं होती...

    ReplyDelete
    Replies
    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 3, 2012 at 11:36 AM

      वाह संध्या जी क्या बात है शुक्रिया.

      Delete
    Reply
  • Rohitas ghorelaNovember 3, 2012 at 12:05 AM

    तेरी यादों का हर पल, मुझे बैचेन करता है
    मैं पागल कैसे होता, अगर साजिस नही होती। .....वाह बहुत लाजवाब गजल।

    मख्मूर सईदी जी के 2 शेर याद आये मुझे ...

    जो ये शर्ते-तअल्लुक़ है,कि है हम को जुदा रहना
    तो ख़्वाबों में भी क्यूँ आओ,खयालों में भी क्या रहना

    पुराने ख्वाब पलकों से झटक दो,सोचते क्या हो
    मुकद्दर खुश्क पत्तों का है शाखों से जुदा रहना .

    ReplyDelete
    Replies
    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 3, 2012 at 11:38 AM

      वाह रोहितास भाई उम्दा शे'र साझा करने के लिए, आपको रचना पसंद आई शुक्रिया मित्र.

      Delete
    Reply
  • AnitaNovember 3, 2012 at 11:37 AM

    बढ़िया रचना !
    पता नहीं कैसे जीते हैं लोग.... जिन्हें चाहत से चाहत नहीं होती...

    ReplyDelete
    Replies
    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 3, 2012 at 11:40 AM

      सत्य कहा है अनीता जी आपने, पता नहीं कैसे जीतें हैं लोग.

      Delete
    Reply
  • संगीता पुरीNovember 3, 2012 at 12:58 PM

    बढिया लिखा आपने ..

    ReplyDelete
    Replies
    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 3, 2012 at 1:11 PM

      तहे दिल से शुक्रिया आदरणीया संगीता पुरी जी

      Delete
    Reply
  • madhu singhNovember 3, 2012 at 5:36 PM

    kya khoob behtareen prastuti

    ReplyDelete
    Replies
    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 5, 2012 at 11:16 AM

      धन्यवाद मधु जी

      Delete
    Reply
Add comment
Load more...

आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर

Newer Post Older Post Home