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Wednesday, October 24, 2012

बाप के कन्धों पे - हो बेटे का जनाजा

भार इस दुनिया में, 
किसका इतना जियादा,


बाप के कन्धों पे,
हो बेटे का जनाजा,


मौत से बद्तर,
है जीने का इरादा,

बदनसीबी कैसी,
है किस्मत ने नवाजा,

दुःख का है साया,
है जख्मों का तकाजा .....

10 comments:

  1. रविकरOctober 24, 2012 at 11:03 AM

    विजयादशमी की शुभकामनाएं |
    सादर --

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    1. "अनंत" अरुन शर्माOctober 24, 2012 at 11:04 AM

      रविकर सर आपको भी विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं

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  • Manu TyagiOctober 24, 2012 at 11:37 AM

    छोटी पर सारगर्भित रचना

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    1. "अनंत" अरुन शर्माOctober 24, 2012 at 11:54 AM

      बहुत-2 शुक्रिया मित्र

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  • Dheerendra singh BhadauriyaOctober 24, 2012 at 9:17 PM

    उम्दा सारगर्भित,,,

    विजयादशमी की हादिक शुभकामनाये,,,
    RECENT POST...: विजयादशमी,,,

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    1. "अनंत" अरुन शर्माOctober 25, 2012 at 10:41 AM

      आभार धीरेन्द्र सर

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  • Rohitas ghorelaOctober 24, 2012 at 11:44 PM

    बच्चों की ख़ुशी ही बाप की ख़ुशी होती है।
    ऐसा दर्द बयाँ करने में भी हिम्मत की जरूरत होती है।

    आभार !!

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    Replies
    1. "अनंत" अरुन शर्माOctober 25, 2012 at 10:42 AM

      तहे दिल से आभार रोहितास जी.

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    Reply
  • Reena MauryaOctober 28, 2012 at 12:30 PM

    सच में इससे बड़ा बोझ और कोई नहीं...
    मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति...

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    1. "अनंत" अरुन शर्माOctober 28, 2012 at 12:56 PM

      सत्य है रीना जी धन्यवाद.

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