जाती नहीं मेरी, आँखों की लाली,
आदत निगाहों, को कैसी डाली,
आदत निगाहों, को कैसी डाली,
साँसे दीवानी हैं, पागल है धड़कन,
मैंने मुहब्बत कर, ली है वो वाली,
दिन रात है यूँ, बेचैनी का आलम,
कर दो न घर, मेरे यादों का खाली,
कर दो न घर, मेरे यादों का खाली,
गम से भरा है, मेरे दिल का कोना,
कैसी मुसीबत, ये मैंने है पाली,
रिश्ते निभाऊं, या तोडूं हर बंधन,
बजती नहीं है, अब रिश्तों की ताली.
बजती नहीं है, अब रिश्तों की ताली.
बहुत खूब...सचमुच रिश्ते अब रिश्ते नहीं रहे, औपचारिकता बनकर रह गए हैं....
ReplyDeleteतहे दिल से शुक्रिया संध्या जी
Deleteवाह..सुंदर
ReplyDeleteरश्मि जी हौंसल आफजाई के लिए हार्दिक अभिनन्दन
Deleteदिन रात है यूँ, बेचैनी का आलम,
ReplyDeleteकर दो न घर, मेरे यादों का खाली ...
बहुत खूब ... लाजवाब शेर है ...
आदरणीय दिगम्बर जी बहुत-२ शुक्रिया
Deleteबहुत बेहतरीन रचनाये होती है आपकी..
ReplyDeleteसुन्दर और मनभावन...
:-)
तहे दिल से शुक्रिया रीना जी, आपकी सराहना मुझे बेहद पसंद आती है.
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