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Wednesday, September 5, 2012

मैं आँखें भर-२ रोता हूँ

सोयी-२ रातों में, मैं जागा-जागा होता हूँ,
पल-२ तेरी यादों में, मैं आँखें भर-२ रोता हूँ, 

टूटा-टूटा रहता हूँ, खोई-खोई सी उलझन में,
दिल के कोने-२ में, मैं गम ही गम बस बोता हूँ,
 
चाहत की गहराई, ना मैं समझा, ना मैं जाना,
छोड़ा फूलों नें पत्थर कर, काटों में मैं जोता हूँ,
 
जीता हूँ मैं मरता हूँ, तेरे ख्यालों में अक्सर,
दर-२ मैं इस दुनिया में, जख्मों को लेकर ढोता हूँ,
 
मुस्किल है मुस्किल है, इन हालातों में मेरा जीना,
साँसों की डोरी तोड़ी है, आखिर अब मैं सोता हूँ.

7 comments:

  1. रविकर फैजाबादीSeptember 5, 2012 at 11:47 AM

    जय हो ||

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  2. अरुन शर्माSeptember 5, 2012 at 12:02 PM

    आदरणीय रविकर कर आपको नमन, सराहना के लिए तहे दिल से शुक्रिया

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  3. dheerendraSeptember 5, 2012 at 2:35 PM

    बहुत बढ़िया बेहतरीन प्रस्तुति,,,,
    RECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,

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    1. अरुन शर्माSeptember 5, 2012 at 4:18 PM

      शुक्रिया सर

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  • संध्या शर्माSeptember 5, 2012 at 3:47 PM

    बढ़िया प्रस्तुति... शुभकामनायें

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    Replies
    1. अरुन शर्माSeptember 5, 2012 at 4:18 PM

      आदरेया सराहना और शुभ-कामना का लिए धन्यवाद

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    Reply
  • संजय भास्करSeptember 10, 2012 at 8:16 PM

    सुंदर रचना और सुंदर शीर्षक :-)

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