हूँ मैं चुप तू भी, बोलना छोड़ दे,
है वादा तुम्हे मैं, भुला दूँ अभी,
तू यादों में गर, डोलना छोड़ दे,
कुछ पल के लिए, सूख जाये नमी,
तू अश्कों का नल, खोलना छोड़ दे,
जिद ना कर कहना, मान भी जा कभी,
दौलत चाहत की, तोलना छोड़ दे,
जाती दिल से मेरे, दरारें नहीं,
भूले बिसरे पल, छोलना छोड़ दे...
है वादा तुम्हे मैं, भुला दूँ अभी,
प्रत्युत्तर देंहटाएंतू यादों में गर, डोलना छोड़ दे,..
जो वो यादों से चले गए तो क्या जी सकोगे ...
खूबसूरत रचना है ...
दिगम्बर जी शुक्रिया....
हटाएंयाद जब सीने में होती है,
घुटन तब जीने में होती है.
भुला दिया कहने से भूला नहीं जा सकता
प्रत्युत्तर देंहटाएंयादें रह - रहकर आती हैं .... बहुत सुन्दर भाव...शुभकामनायें
अखंड सत्य है संध्या जी यादें सदा साथ रहती हैं
हटाएंअपने मौन सिंह की बात तो नहीं कर रहे आप .वह बे चारा तो बोलना चाहता भी है पर आवाज़ ही नहीं निकलती .क्या क्या तो नाम रख दिए लोगों ने बे -चारे के "काग -भगोड़ा (स्केयर बार /क्रो बार ),सोनियावी /सोनी का पूडल /गूगल का डूडल .
प्रत्युत्तर देंहटाएंram ram bhai
बृहस्पतिवार, 13 सितम्बर 2012
हाँ !यह भारत है
Wednesday, September 12, 2012
प्रत्युत्तर देंहटाएंहूँ मैं चुप तू भी बोलना छोड़ दे
नम नैनो में गम, घोलना छोड़ दे,
हूँ मैं चुप तू भी, बोलना छोड़ दे,
अपने मौन सिंह की बात तो नहीं कर रहे आप .वह बे चारा तो बोलना चाहता भी है पर आवाज़ ही नहीं निकलती .क्या क्या तो नाम रख दिए लोगों ने बे -चारे के "काग -भगोड़ा (स्केयर बार /क्रो बार ),सोनियावी /सोनी का पूडल /गूगल का डूडल .
प्रत्युत्तर देंहटाएंWednesday, September 12, 2012
हूँ मैं चुप तू भी बोलना छोड़ दे
नम नैनो में गम, घोलना छोड़ दे,
हूँ मैं चुप तू भी, बोलना छोड़ दे,
दोस्त बहुत फूंकी हुई गजलें कह रहे हो -एक शैर आपके नाम -
कहता है फूंक फूंक ,गजलें ,शायर दुनिया का जला हुआ ,
उसके जैसा चेहरा देखा एक पीला तोता हरा हुआ ,
आंसू सूखा कहकहा हुआ ,
पानी सूखा तो हवा हुआ .
ram ram bhai
बृहस्पतिवार, 13 सितम्बर 2012
हाँ !यह भारत है
दोस्त द्रुत टिपण्णी की तारीफ़ कैसे करूँ ,आपको शुक्रिया कह मान कम क्यों करूँ ?
प्रत्युत्तर देंहटाएंदोस्त द्रुत टिपण्णी की तारीफ़ कैसे करूँ ,आपको शुक्रिया कह मान कम क्यों करूँ ?राजनीति पे दोहे लिखो दोस्त .हाथ बहुत साफ़ है आपका ,लोग साफ़ लिख नहीं पातें हैं आप अपनी बात साफ़ कह जातें हैं .लय ताल में ,छंद और राग में .और वर्तनी के पक्के हैं ,अच्छों के छुडाते छक्के हैं .
प्रत्युत्तर देंहटाएंनेहा एवं स्नेह से
वीरुभाई ,४३,३०९ ,सिल्वरवुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशगन ,४८ १८८ ,यू एस ए ..
आदरणीय वीरेन्द्र सर आपका तहे दिल से शुक्रिया, आपके द्वारा बताये गए पथ पर चलने की कोशिश जरुर करूँगा. आप अपना आशीर्वाद बनाये रखिये
हटाएंहै वादा तुम्हे मैं, भुला दूँ अभी,
प्रत्युत्तर देंहटाएंतू यादों में गर, डोलना छोड़ दे,..
वाह ... बेहतरीन पंक्तियां
सदा जी आपकी सराहना से मुझे सदा बल मिलता है. शुक्रिया
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