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बुधवार, 12 सितंबर 2012

हूँ मैं चुप तू भी बोलना छोड़ दे

नम नैनो में गम, घोलना छोड़ दे,
हूँ मैं चुप तू भी, बोलना छोड़ दे,

है वादा तुम्हे मैं, भुला दूँ अभी,
तू यादों में गर, डोलना छोड़ दे,

कुछ पल के लिए, सूख जाये नमी,
तू अश्कों का नल, खोलना छोड़ दे,

जिद ना कर कहना, मान भी जा कभी,
दौलत चाहत की, तोलना छोड़ दे,

जाती दिल से मेरे, दरारें नहीं,
भूले बिसरे पल, छोलना छोड़ दे...

छोलना = छीलना 

16 टिप्‍पणियां:

  1. दिगम्बर नासवा12 सितंबर 2012 को 1:44 pm

    है वादा तुम्हे मैं, भुला दूँ अभी,
    तू यादों में गर, डोलना छोड़ दे,..

    जो वो यादों से चले गए तो क्या जी सकोगे ...
    खूबसूरत रचना है ...

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा12 सितंबर 2012 को 3:06 pm

      दिगम्बर जी शुक्रिया....
      याद जब सीने में होती है,
      घुटन तब जीने में होती है.

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  • संध्या शर्मा12 सितंबर 2012 को 4:19 pm

    भुला दिया कहने से भूला नहीं जा सकता
    यादें रह - रहकर आती हैं .... बहुत सुन्दर भाव...शुभकामनायें

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा12 सितंबर 2012 को 4:27 pm

      अखंड सत्य है संध्या जी यादें सदा साथ रहती हैं

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  • Virendra Kumar Sharma13 सितंबर 2012 को 7:25 am

    अपने मौन सिंह की बात तो नहीं कर रहे आप .वह बे चारा तो बोलना चाहता भी है पर आवाज़ ही नहीं निकलती .क्या क्या तो नाम रख दिए लोगों ने बे -चारे के "काग -भगोड़ा (स्केयर बार /क्रो बार ),सोनियावी /सोनी का पूडल /गूगल का डूडल .
    ram ram bhai
    बृहस्पतिवार, 13 सितम्बर 2012
    हाँ !यह भारत है

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  • Virendra Kumar Sharma13 सितंबर 2012 को 7:26 am

    Wednesday, September 12, 2012
    हूँ मैं चुप तू भी बोलना छोड़ दे
    नम नैनो में गम, घोलना छोड़ दे,
    हूँ मैं चुप तू भी, बोलना छोड़ दे,

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  • Virendra Kumar Sharma13 सितंबर 2012 को 7:30 am

    अपने मौन सिंह की बात तो नहीं कर रहे आप .वह बे चारा तो बोलना चाहता भी है पर आवाज़ ही नहीं निकलती .क्या क्या तो नाम रख दिए लोगों ने बे -चारे के "काग -भगोड़ा (स्केयर बार /क्रो बार ),सोनियावी /सोनी का पूडल /गूगल का डूडल .
    Wednesday, September 12, 2012
    हूँ मैं चुप तू भी बोलना छोड़ दे
    नम नैनो में गम, घोलना छोड़ दे,
    हूँ मैं चुप तू भी, बोलना छोड़ दे,
    दोस्त बहुत फूंकी हुई गजलें कह रहे हो -एक शैर आपके नाम -
    कहता है फूंक फूंक ,गजलें ,शायर दुनिया का जला हुआ ,
    उसके जैसा चेहरा देखा एक पीला तोता हरा हुआ ,
    आंसू सूखा कहकहा हुआ ,
    पानी सूखा तो हवा हुआ .
    ram ram bhai
    बृहस्पतिवार, 13 सितम्बर 2012
    हाँ !यह भारत है

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  • Virendra Kumar Sharma13 सितंबर 2012 को 11:00 am

    दोस्त द्रुत टिपण्णी की तारीफ़ कैसे करूँ ,आपको शुक्रिया कह मान कम क्यों करूँ ?

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  • Virendra Kumar Sharma13 सितंबर 2012 को 11:03 am

    दोस्त द्रुत टिपण्णी की तारीफ़ कैसे करूँ ,आपको शुक्रिया कह मान कम क्यों करूँ ?राजनीति पे दोहे लिखो दोस्त .हाथ बहुत साफ़ है आपका ,लोग साफ़ लिख नहीं पातें हैं आप अपनी बात साफ़ कह जातें हैं .लय ताल में ,छंद और राग में .और वर्तनी के पक्के हैं ,अच्छों के छुडाते छक्के हैं .
    नेहा एवं स्नेह से
    वीरुभाई ,४३,३०९ ,सिल्वरवुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशगन ,४८ १८८ ,यू एस ए ..

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा13 सितंबर 2012 को 11:16 am

      आदरणीय वीरेन्द्र सर आपका तहे दिल से शुक्रिया, आपके द्वारा बताये गए पथ पर चलने की कोशिश जरुर करूँगा. आप अपना आशीर्वाद बनाये रखिये

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  • सदा13 सितंबर 2012 को 11:54 am

    है वादा तुम्हे मैं, भुला दूँ अभी,
    तू यादों में गर, डोलना छोड़ दे,..
    वाह ... बेहतरीन पंक्तियां

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा13 सितंबर 2012 को 11:59 am

      सदा जी आपकी सराहना से मुझे सदा बल मिलता है. शुक्रिया

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  • सुशील13 सितंबर 2012 को 8:16 pm

    वाह भाई क्या नल लेके आये हैं !!

    अश्कों का नल हो जिसके पास
    उसे क्या कमी है
    भेजो तुरंत रेगिस्तान में
    जहाँ चाहिये होती कुछ नमी है !!!

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा15 सितंबर 2012 को 10:39 am

      सुशील सर आपकी सराहना अच्छी लगती है, मेरे ब्लॉग पर आते रहिएगा. शुक्रिया

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  • संजय भास्कर14 सितंबर 2012 को 7:39 am

    है वादा तुम्हे मैं, भुला दूँ अभी,
    तू यादों में गर, डोलना छोड़ दे

    खूबसूरत रचना है ...!!!

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा15 सितंबर 2012 को 10:40 am

      बहुत-२ शुक्रिया संजय भाई

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