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Sunday, August 19, 2012

यादों का मखमली गम

यादों का मखमली गम ओढ़, सो नहीं पाता,
सब जाना चाहता हूँ भूल, हो नहीं पाता,

आया आराम ना मुझको दुआ, दवा भायी,
आँखों में झलकता है अश्क, रो नहीं पाता,

मैं प्यासा इक समंदर हूँ, कई महीनों से,
मुझको दीवानगी है याद, खो नहीं पाता,

पागल हो, भूल बैठा रात और दिन सारे,
पल दो पल का सुकूं हो चैन ढो नहीं पाता,

जिसको मैं ढूंढता हूँ हर घडी उदासी में,
करके बेताब मिल हर रोज़, वो नहीं पाता......

8 comments:

  1. dheerendraAugust 19, 2012 at 4:10 PM

    वाह,,, बहुत खूब, बढ़िया गजल,,,,
    RECENT POST ...: जिला अनुपपुर अपना,,,

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    1. अरुन शर्माAugust 19, 2012 at 5:55 PM

      आदरणीय धीरेन्द्र जी स्नेह के लिए आभार

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  • Reena MauryaAugust 19, 2012 at 5:46 PM

    बहुत बढ़िया गजल...
    पर हर समय मिलना भी तो संभव नहीं..
    :-)

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    1. अरुन शर्माAugust 19, 2012 at 5:55 PM

      रीना जी तहे दिल से शुक्रिया बिलकुल हर समय मिलना मुमकिन नहीं होता

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  • डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)August 19, 2012 at 6:48 PM

    ईद मुबारक !
    आप सभी को भाईचारे के त्यौहार की हार्दिक शुभकामनाएँ!
    --
    इस मुबारक मौके पर आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (20-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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    1. अरुन शर्माAugust 20, 2012 at 11:08 AM

      आदरणीय शास्त्री सर आपको भी ईद मुबारक, तहे दिल से शुक्रिया मेरी रचना चर्चामंच पर लगाने के लिए

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  • दिगम्बर नासवाAugust 21, 2012 at 2:17 PM

    सच है जिसकी तलाश रहती है जीवन की उदासी में ... वो कभी नहीं मिलता .. जीवन की रीत है ये ...

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    1. अरुन शर्माAugust 22, 2012 at 10:16 AM

      बिलकुल सच कहा है आपने दिगम्बर जी

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