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आइये आपका हृदयतल से हार्दिक स्वागत है

Saturday, July 7, 2012

नयन

दो नैनो से बोल गई अपने मन की बात,
खुद नैना बंद सो रही, मैं जागूं दिन-रात,
आग लगा कर सुलग रहे, हैं मेरे जज़्बात,
सूखे - सूखे नैनों से, बहे प्रेम बरसात......

समझे प्राणी न कभी नैनो की हर बात,
नैनो के मीठे बोल तो है नैनो में बरसात,
नैनो में उजियाला है नैनो में बसी है रात........

नैना भोले भाले हैं, नैना हैं बदमाश,
नैनो में बसी शरारत, नैनो में विश्वास,
नैनो के कारण लगे सभी दिलो में आग,
नैनो में दूरी न रही, जाओ कितना भाग....



नयन में नीर रखे हैं, नयन में तीर रखे हैं,
नयनों में न जाने कितने गहरे क्षीर रखे हैं,
सूरमा हों बड़े कितने नयन से हार जाते हैं,
निहत्थे हैं मगर कितने यूँ ही मार जाते हैं,
नयनों में छुपी चुप्पी नयन ताड़ जाते हैं,
मरुअस्थल कभी तो बन आषाढ़ जाते हैं,
नयन रोकते भी हैं, नयन टोकते भी हैं,
कभी गहरी खाई में लाकर झोंकते भी हैं,
नैनों के अनेखों रूप, पल में छाया पल में धूप
नैनों में कई मौसम, बराबर रखते खुशियाँ-गम.....

नयन दुनिया दिखाते हैं, नयन दुनिया छुपाते हैं,
नयन आंशू बहते हैं, नयन मुस्कान लाते हैं,
नयन इंसान जगाते हैं, नयन सुख-दुःख दिखाते हैं,
नयन गलती बताते हैं, नयन परख सिखाते हैं.......


कभी तीखे ये औज़ार, कभी छींटे और बौछार,
कभी जो मीठे बोलें बोल, रस जीवन में देते घोल,
कभी तेवर हैं रंग-रंगीले, कभी दिखते हैं भड़कीले,

कभी करते हैं मनमानी, कभी बरसाते जमकर पानी,
कभी झुक करके करें हया, कभी उठ करके करें दया,
कभी तोड़ जाते हैं ये दिल, कभी हर जाते हैं मुस्किल,
कभी दिल से गए उतर, कभी दिल में कर गए घर,
कभी लिख जाएँ कई कहानी, कभी दे जाएँ कई निशानी,
कभी हो जाएँ जब मजबूर, ले जाते हैं मीलों दूर,
कभी सपने सजाते हैं, कभी हरदम जगाते हैं,
कभी खुद रूठ जाते हैं, कभी खुद को मनाते हैं,
कभी लाचार हो देखें, कभी तलवार ये फेंकें,
कभी मुस्किल बने भाषा, कभी आसान सी आशा,
कभी सच झूंठ की दे पहचान, कभी बन जाती हैं अनजान,
कभी रिश्तें करें शुरुआत, कभी इक भी न बोलें बात...


नियत की पहचान नयन करें, किसी पे कुर्बान नयन करें,
छुपाकर धोका तले पलकों के, दिलों को हैरान नयन करें,
गिरा कर धूल कर दे, उठा कर अमूल कर दे,
चाव से अपनी पसंद कर बड़ा सम्मान नयन करें....


नयन ही नीर रखते हैं, ह्रदय की पीर रखते हैं,
नयन उत्सुक भी होते हैं, नयन ही धीर रखते हैं, 
नयन इकरार करते हैं, नयन इनकार करते हैं,
नयन दुत्कार करते हैं, नयन ही प्यार करते हैं.......

10 comments:

  1. Reena MauryaJuly 7, 2012 at 7:24 PM

    वाह वाह...
    बहुत ही बेहतरीन लाजवाब रचना...
    नयनो के बारे में बहुत खूब लिखा है...
    और एकदम सही भी...
    :-)

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  2. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)July 7, 2012 at 9:03 PM

    बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (08-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  3. Suresh kumarJuly 8, 2012 at 5:55 AM

    नयन ही नीर रखते हैं, ह्रदय की पीर रखते हैं,
    नयन उत्सुक भी होते हैं, नयन ही धीर रखते हैं,  
    नयन इकरार करते हैं, नयन इनकार करते हैं,
    नयन दुत्कार करते हैं, नयन ही प्यार करते हैं.......
    gazab........ bahut hi sundar rachna...

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  4. अरुन शर्माJuly 8, 2012 at 11:17 AM

    इतने स्नेह के लिए आप सब का हृदय से शुक्रिया

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  5. निर्मला कपिलाJuly 8, 2012 at 11:24 AM

    नयनों की भाषा का सुन्दर वर्णन।

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  6. अरुन शर्माJuly 8, 2012 at 12:02 PM

    आदरणीया बहुत बहुत शुक्रिया

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  7. dheerendraJuly 8, 2012 at 2:39 PM

    प्राणी समझे न कभी नैनों की हर बात,
    नयना जबभी बोलते लग जाती है आग

    लग जाती है आग, जल जाते परवाने
    लैला मजनू का हाल, सारी दुनिया जाने

    नयनो के ये नीर,तीर से बच कर रहना
    वरना फिर पछताओगे,रुलायेगें ये नयना,,,,,,,

    समर्थक बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,,,,,
    RECENT POST...: दोहे,,,,

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  8. अरुन शर्माJuly 8, 2012 at 2:46 PM

    SIR आपने टिपण्णी की बड़ी प्रसंता हुई.

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  9. Neetu SinghalAugust 27, 2012 at 4:07 PM

    दो नयन..,
    नयन मूंद वह सो रही..,
    मैं जागू दिन-रात..,
    अगन लगा कर लगन लगी..,
    भाव भरम भरमात.....

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    Replies
    1. अरुन शर्माAugust 27, 2012 at 5:06 PM

      वाह नीतू जी क्या बात है, अति सुन्दर

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