उलझे हुए रिश्ते की सिलवट मैं बन गया,
ठहरी रात नहीं गुजरी करवट मैं बन गया,
तेरी राह तकते तकते आहट मैं बन गया,
सूने मेरे घर की आज चौखट मैं बन गया,
अपनी ही जिंदगी में झंझट मैं बन गया,
बेकार बैठे-२ कूड़ा - करकट मैं बन गया...
ठहरी रात नहीं गुजरी करवट मैं बन गया,
तेरी राह तकते तकते आहट मैं बन गया,
सूने मेरे घर की आज चौखट मैं बन गया,
अपनी ही जिंदगी में झंझट मैं बन गया,
बेकार बैठे-२ कूड़ा - करकट मैं बन गया...
बहुत अच्छी लगीं यह पंक्तियाँ।
ReplyDeleteसादर