जिंदगी मुझसे मैं जिंदगी से सहमत नहीं,
खुदा की होती भी मुझपर रहमत नहीं,
टूट कर बिखर चूका हूँ इस कदर,
अब और टूटने की मुझमे हिम्मत नहीं,
दिल को बहला-फुसला समझा लिया,
अब मेरे दिल से होती तेरी खिदमत नही......
खुदा की होती भी मुझपर रहमत नहीं,
टूट कर बिखर चूका हूँ इस कदर,
अब और टूटने की मुझमे हिम्मत नहीं,
दिल को बहला-फुसला समझा लिया,
अब मेरे दिल से होती तेरी खिदमत नही......
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