तेरी दिल्लगी मेरे महबूब खूब सायानी निकली,
दर्द- ए - दास्ताँ मेरी कलम की जुबानी निकली,
मद्धम हो गया मेरी आँखों का झरोंखा मुझमे,
तेरी तस्वीर मेरी नज़रों के लिए परेशानी निकली,
यादें तेरी तब तब मेरी जान पे बन आती हैं,
जब - जब शमाँ थोड़ी बहुत सुहानी निकली....
दर्द- ए - दास्ताँ मेरी कलम की जुबानी निकली,
मद्धम हो गया मेरी आँखों का झरोंखा मुझमे,
तेरी तस्वीर मेरी नज़रों के लिए परेशानी निकली,
यादें तेरी तब तब मेरी जान पे बन आती हैं,
जब - जब शमाँ थोड़ी बहुत सुहानी निकली....
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