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Monday, September 22, 2014

ग़ज़ल : प्रेम में हैं विभोर हम दोनों

प्रेम में हैं विभोर हम दोनों,
हो गए हैं किशोर हम दोनों.

चैन आराम लूट बैठे हैं,
बन गए दिल के चोर हम दोनों,

रूह से रूह का हुआ रिश्ता,
भावनाओं की डोर हम दोनों,

अग्रसर प्रेम के कठिन पथ पे,
एक मंजिल की ओर हम दोनों,

किन्तु अपना मिलन नहीं संभव,
हैं नदी के दो छोर हम दोनों..

3 comments:

  1. प्रतिभा सक्सेनाSeptember 23, 2014 at 10:39 AM

    यही तो मुश्किल है - नदी के छोर हैं हम दोनों !

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  2. parul singhSeptember 26, 2014 at 1:32 PM

    अग्रसर प्रेम के कठिन पथ पे,
    एक मंजिल की ओर हम दोनों,
    सफ़र आसन हो ही जाना है जब मंजिल एक ही है . खुबसूरत गज़ल

    ReplyDelete
  3. parul singhSeptember 26, 2014 at 1:34 PM

    अग्रसर प्रेम के कठिन पथ पे,
    एक मंजिल की ओर हम दोनों,
    सफ़र आसन हो ही जाना है जब मंजिल एक ही है . खुबसूरत गज़ल

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