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Thursday, August 28, 2014

शीघ्र प्रकाश्य "सारांश समय का"


 

संकलन व विशेषांक

‘शब्द व्यंजना’ मासिक ई-पत्रिका हिन्दी भाषा व साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए दृढ संकल्पित है. पत्रिका ने लगातार यह प्रयास किया है कि हिन्दी साहित्य के वरिष्ठ रचनाकारों के श्रेष्ठ साहित्य से पाठकों को रू-ब-रू कराने के साथ नए रचनाकारों को भी मंच प्रदान करे. नियमित मासिक प्रकाशन के साथ ही पत्रिका समय-समय पर विधा-विशेष तथा विषय-विशेष पर आधारित विशेषांक भी प्रकाशित करेगी जिससे कि उस क्षेत्र में कार्यरत रचनाकारों की श्रेष्ठ रचनाओं को पाठकों तक पहुँचाया जा सके. इन विशेषांक में सम्मिलित रचनाकारों की रचनाओं को पुस्तक रूप में भी प्रकाशित करने का प्रयास होगा.
इसी क्रम में ‘शब्द व्यंजना’ का नवम्बर अंक ‘कविता विशेषांक’ के रूप में प्रकाशित किया जाएगा. साथ ही, इस अंक में सम्मिलित रचनाकारों की अतुकांत कविताओं का संग्रह पुस्तक रूप में भी प्रकाशित करना प्रस्तावित है.
पत्रिका अभी अपने शुरुआती दौर में है और व्यासायिक न होने के कारण अभी पत्रिका के पास ऐसा कोई स्रोत नहीं है जिससे पुस्तक-प्रकाशन के खर्च को वहन किया जा सके इसलिए यह कविता-संग्रह (पुस्तक) रचनाकारों से सहयोग राशि लेकर प्रकाशित किया जा रहा है.
प्रस्ताव-
कविता-संग्रह में ५० रचनाकारों को सम्मिलित किया जाना प्रस्तावित है.
कविता संग्रह २५६ पेज का होगा जिसमें प्रत्येक रचनाकार को ४ पेज प्रदान किए जाएँगे.
सहयोग राशि के रूप में रचनाकार को रु० ५५०/- (५००/- सहयोग राशि + ५०/- डाक व अन्य खर्च) का भुगतान करना होगा.
प्रत्येक रचनाकार को कविता-संग्रह की ३ प्रतियाँ प्रदान की जाएँगी.
इस संग्रह में सम्मिलित होने के लिए रचनाकार अपनी १० अतुकांत कविताएँ, अपने परिचय और फोटो के साथ 5 सितम्बर तक इस ई-मेल पर भेज सकते हैं-

[email protected]

रचनाएँ भेजते समय शीर्षक ‘संकलन हेतु’ अवश्य लिखें. यह सुनिशिचित कर लें कि रचनाओं का आकर इतना हो कि ४ पेज में अधिक से अधिक रचनाएँ सम्मिलित की जा सकें. बहुत लम्बी अतुकांत रचनाएँ न भेजें.
इन १० रचनाओं में से संग्रह में प्रकाशित करने हेतु रचनाएँ चयनित की जाएँगी. शेष रचनाओं में से विशेषांक हेतु रचनाओं का चयन किया जाएगा. चयनित रचनाओं के विषय में प्रत्येक रचनाकार को सूचित किया जाएगा.
संग्रह में रचनाकार को वयानुसार स्थान प्रदान किया जाएगा.
संग्रह का लोकार्पण लखनऊ, इलाहाबाद अथवा दिल्ली में किया जाएगा. इस संग्रह का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा तथा समीक्षा कराई जाएगी जिससे रचनाकारों के रचनाकर्म का मूल्यांकन हो सके. संग्रह में सम्मिलित रचनाकारों की रचनाओं का प्रकाशन अन्य सहयोगी पत्र-पत्रिकाओं में भी सुनिश्चित किया जाएगा जिसकी सूचना रचनाकार को प्रदान की जाएगी. रचनाकारों के रचनाकर्म का व्यापक प्रचार इन्टरनेट की विभिन्न साइटों और ब्लोग्स पर भी किया जाएगा.
सहयोग राशि का भुगतान रचनाकार को रचना चयन के उपरान्त करना होगा जिसके सम्बन्ध में रचनाकार को सूचना प्रदान की जाएगी.

Friday, August 22, 2014

एक तुम्हीं केवल जीवन में

मिट्टी से निर्मित इस तन में,
एक तुम्हीं केवल जीवन में,

अंतस में प्रिय विद्यमान तुम,
तुम ही साँसों में धड़कन में,

अधरों पर तुम मुखर रूप से,
अक्षर अक्षर संबोधन में,

सुखद मिलन की स्मृतियों में,
दुखद विरह की इस उलझन में,

मधुर क्षणों में तुम्हीं उपस्थित,
तुम्हीं वेदना की ऐठन में,

प्रखर प्रेम में पूर्ण तरह हो,
तुम हर छोटी सी अनबन में,

मानसपटल की स्थिररता में,
और तुम्हीं तुम व्याकुल मन में,

तुम्हीं कल्पना में भावों में,
तुम्हीं सम्मिलित हो लेखन में....
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