बह्र : खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
खूबसूरत हसीं परी होगी,
सोचता हूँ जो जिंदगी होगी,
सादगी कूटकर भरी होगी,
श्याम जैसी वो साँवरी होगी,
ख्वाहिशें क्यूँ भला अधूरी हैं,
मांगने में कहीं कमी होगी,
ख़त्म कर लें विवाद आपस का,
मैं गलत हूँ कि तू सही होगी,
मौत ने खा लिया बता देना,
जिस्म में जान जब नही होगी,
शांत चुपचाप दोस्त रहने दो,
सत्य बोलूँगा खलबली होगी....
सोचता हूँ जो जिंदगी होगी,
सादगी कूटकर भरी होगी,
श्याम जैसी वो साँवरी होगी,
ख्वाहिशें क्यूँ भला अधूरी हैं,
मांगने में कहीं कमी होगी,
ख़त्म कर लें विवाद आपस का,
मैं गलत हूँ कि तू सही होगी,
मौत ने खा लिया बता देना,
जिस्म में जान जब नही होगी,
शांत चुपचाप दोस्त रहने दो,
सत्य बोलूँगा खलबली होगी....
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बह्र : मुतकारिब मुसम्मन सालिम
तमन्ना यही एक पूरी खुदा कर,
जमी ओढ़ लूँ मैं फलक को बिछा कर,
शुकूँ से भरी नींद अँखियों को दे दे,
दुआओं तले माँ के बिस्तर लगा कर,
बढ़ा हौसला दे मेरी झोपड़ी का,
बुजुर्गों के आशीष की छत बना कर,
अमन शान्ति का शुद्ध वातावरण हो,
मुहब्बत पिला दे शराफत मिला कर,
सितारों भरी एक दुनिया बसा रब,
अँधेरे का सारा जहाँ अब मिटा कर..
जमी ओढ़ लूँ मैं फलक को बिछा कर,
शुकूँ से भरी नींद अँखियों को दे दे,
दुआओं तले माँ के बिस्तर लगा कर,
बढ़ा हौसला दे मेरी झोपड़ी का,
बुजुर्गों के आशीष की छत बना कर,
अमन शान्ति का शुद्ध वातावरण हो,
मुहब्बत पिला दे शराफत मिला कर,
सितारों भरी एक दुनिया बसा रब,
अँधेरे का सारा जहाँ अब मिटा कर..
सुन्दर गजलें-
प्रत्युत्तर देंहटाएंआभार प्रिय अरुण-
बढ़िया,बेहतरीन गजल ..!
प्रत्युत्तर देंहटाएं----------------------------------
Recent post -: वोट से पहले .
सुंदर गजलें !
प्रत्युत्तर देंहटाएंख्वाहिशें क्यूँ भला अधूरी हैं...
प्रत्युत्तर देंहटाएंमांगने में कुछ कहीं कमी होगी.....
बेहद सुन्दर ग़ज़ल.......
अनु
वाह बहुत सुन्दर ग़ज़ल............
प्रत्युत्तर देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
प्रत्युत्तर देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (07-12-2013) को "याद आती है माँ" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1454 में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बेहतरीन गजलें है अरुन भाई जी...
प्रत्युत्तर देंहटाएंबहुत बढ़ियाँ....
:-)
वाह क्या बात! बहुत ख़ूब!
प्रत्युत्तर देंहटाएंइसी मोड़ से गुज़रा है फिर कोई नौजवाँ और कुछ नहीं
बहुत खूबसूरत गजलें ... दोनों बहर को कमाल का निभाया है स्पष्ट कहन के साथ ...
प्रत्युत्तर देंहटाएंक्या बात... बेहतरीन ग़ज़लें
प्रत्युत्तर देंहटाएंkhubsurat..
प्रत्युत्तर देंहटाएंkhubsurat...
प्रत्युत्तर देंहटाएंबहुत सुन्दर ...भाव भी अभिव्यक्ति भी ...
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