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बुधवार, 21 अगस्त 2013

कहीं तो टूटके सीने से दिल बिखरा हुआ होगा

बहर : हज़ज़ मुसम्मन सालिम
१२२२, १२२२, १२२२, १२२२,
....................................................

तुझे भूला हुआ होगा तुझे बिसरा हुआ होगा,
कहीं तो टूटके सीने से दिल बिखरा हुआ होगा,

बदलता है नहीं मेरी निगाहों का कभी मौसम,
असर छोटी सी कोई बात का गहरा हुआ होगा ,

तनिक हरकत नहीं करता सिसकती आह सुन मेरी,
अगर गूंगा नहीं तो दिल तेरा बहरा हुआ होगा,

जिसे अब ढूंढती है आज के रौशन जहाँ में तू,
तमस की गोद में बिस्तर बिछा पसरा हुआ होगा,

चली आई मुझे तू छोड़ कर चुपचाप राहों में,
तुझे महसूस शायद मुझसे ही खतरा हुआ होगा,

कहा रुकना नहीं जाना पलटकर मैं अभी आई,
अरुन अब तक उसी बारिश तले ठहरा हुआ होगा..

18 टिप्‍पणियां:

  1. दिल की आवाज़21 अगस्त 2013 को 11:13 am

    बहुत सुन्दर गजल ......

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  2. धीरेन्द्र सिंह भदौरिया21 अगस्त 2013 को 11:21 am

    बहुत सुंदर सृजन लाजबाब गजल ,,,
    RECENT POST : सुलझाया नही जाता.

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  3. सुशील21 अगस्त 2013 को 11:24 am

    :D :D : D
    कितना भी कोई
    लिख ले जाता है
    टिप्पणी करने में
    ही जैसे सब कुछ
    किसी की जेब का
    चला जाता है !

    सुंदर बहुत खूब ! :)

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  4. रविकर21 अगस्त 2013 को 12:09 pm

    खुबसूरत-
    बधाई भाई-

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  5. कालीपद प्रसाद21 अगस्त 2013 को 12:27 pm

    बहुत सुन्दर ग़ज़ल !
    latest post नेताजी फ़िक्र ना करो!
    latest post नेता उवाच !!!

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  6. दिगम्बर नासवा21 अगस्त 2013 को 5:15 pm

    बदलता है नहीं मेरी निगाहों का कभी मौसम,
    असर छोटी सी कोई बात का गहरा हुआ होगा ,...

    बहुत लाजवाब शेर ... मेरी पसंदीदा बहर ... पूरी गज़ल में नायाब शेर हैं अरुण जी ... बधाई ...

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  7. Manjusha pandey21 अगस्त 2013 को 6:05 pm

    बेहतरीन गजल ....

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  8. Aamir Ali21 अगस्त 2013 को 10:04 pm

    बड़ी ही दिलचस्प रचना है ,एक एक शेर दिल को छु जाने वाला है। बहुत ही उम्दा भाई।

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  9. shorya Malik21 अगस्त 2013 को 10:46 pm


    तनिक हरकत नहीं करता सिसकती आह सुन मेरी,
    अगर गूंगा नहीं तो दिल तेरा बहरा हुआ होगा,

    ढेरो शुभकामनाये अरुण भाई ऐसे ही लिखते रहो

    यहाँ भी पधारे

    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/08/blog-post_6131.html

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  10. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक22 अगस्त 2013 को 6:33 am

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज वृहस्पतिवार (22-06-2013) के "संक्षिप्त चर्चा - श्राप काव्य चोरों को" (चर्चा मंचः अंक-1345)
    पर भी होगी!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  11. Virendra Kumar Sharma22 अगस्त 2013 को 8:34 am

    तनिक हरकत नहीं करता सिसकती आह सुन मेरी,
    अगर गूंगा नहीं तो दिल तेरा बहरा हुआ होगा,

    ये सारा जिस्म थक के दोहरा हुआ होगा ,

    मैं सजदे में झुका था आपको धोखा हुआ होगा।


    चली आई मुझे तू छोड़ कर चुपचाप राहों में,
    तुझे महसूस शायद मुझसे ही खतरा हुआ होगा,

    ये कैसी रेल धक्कम पेल है भैया ,

    नहीं गणतंत्र ये, तुझको मुफत राशन मिला होगा।

    बहुत बढ़िया प्रस्तुति है अरुण भाई

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  12. प्रवीण पाण्डेय22 अगस्त 2013 को 2:26 pm

    बहुत खूब, बेहतरीन..

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  13. Lalit Chahar22 अगस्त 2013 को 6:09 pm

    हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} के शुभारंभ पर आप को आमंत्रित किया जाता है। कृपया पधारें आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा |

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  14. सरिता भाटिया22 अगस्त 2013 को 7:53 pm

    बेहतरीन अभिव्यक्ति ,खुश रहो

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  15. Ankur Jain23 अगस्त 2013 को 6:14 pm

    शानदार प्रस्तुति।।।

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  16. संजय भास्‍कर25 अगस्त 2013 को 1:47 pm

    कहा रुकना नहीं जाना पलटकर मैं अभी आई,
    अरुन अब तक उसी बारिश तले ठहरा हुआ होगा..

    .........बहुत बढ़िया प्रस्तुति है अरुण भाई

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  17. Naveen Mani Tripathi26 अगस्त 2013 को 4:11 pm

    sharma ji hr sher achchhe lage .....bs yu hi Gajalon ko jindabad karate rahiye .....abhar.

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  18. sunnymca1 सितंबर 2013 को 12:15 am

    bahut badhiya sirji..

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
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