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आइये आपका हृदयतल से हार्दिक स्वागत है

Thursday, March 13, 2014

गीत : प्रणय - प्रेम

जबसे तुमने प्रेम निमंत्रण स्वीकारा है,
बही हृदय में प्रणय प्रेम की रस धारा है,

मधुर मधुर अहसास अंकुरित होता है,
तन चन्दन की भांति सुगंधित होता है,
जैसे फूलों ने मुझपर गुलशन वारा है,
बही हृदय में प्रणय प्रेम की रस धारा है.

मनभावन मनमोहक सूरत प्यारी सी,
मधुर कंठ मुस्कान मनोरम न्यारी सी,
उज्जवल सूरत देखके होता भिनसारा है,
बही हृदय में प्रणय प्रेम की रस धारा है.

सरस देह सुकुमार लताओं के जैसी,
अनुपम छवि जलजात के सम हृदयस्पर्शी,
अलौकिक श्रृंगार विधाता के द्वारा है,
बही हृदय में प्रणय प्रेम की रस धारा है.

4 comments:

  1. राजेंद्र कुमारMarch 13, 2014 at 3:14 PM

    आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (14.03.2014) को "रंगों की बरसात लिए होली आई है (चर्चा अंक-1551)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें, वहाँ आपका स्वागत है, धन्यबाद।

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  2. अरुन शर्मा अनन्तMarch 13, 2014 at 3:34 PM

    हृदयतल से हार्दिक आभार मित्र

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  3. अभिव्यंजनाMarch 13, 2014 at 6:34 PM

    प्रेम की सुंदर अनुभूति .....

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  4. प्रवीण पाण्डेयMarch 13, 2014 at 9:13 PM

    यह निर्भर ऐसे ही बहता रहे, सुन्दर रचना।

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