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गुरुवार, 28 मार्च 2013

दो गज़लें

ओ. बी. ओ. तरही मुशायरा अंक - ३३ के अंतर्गत शामिल मेरी दो गज़लें.

................... 1 ...................

जीजा बुरा न मानो होली बता के मारा,
सूरत बिगाड़ डाली कीचड़ उठा के मारा,

खटिया थी टूटी फूटी खटमल भरे हुए थे,
सर्दी की रात छत पर बिस्तर लगा के मारा,

काजल कभी तो शैम्पू बिंदी कभी लिपिस्टिक,
बीबी ने बैंक खाता खाली करा के मारा,

अंदाज था निराला पहना था चस्मा काला,
इक आँख से थी कानी मुझको पटा के मारा,

गावों की छोरियों को मैंने बहुत पटाया,
शहरों की लड़कियों ने बुद्धू बना के मारा ....

................... २ ...................

बासी रखी मिठाई मुझको खिला के मारा,
मोटी छुपाके घर में पतली दिखा के मारा,

जैसे ही मैंने बोला शादी नहीं करूँगा,
साले ने मुझको चाँटा बत्ती बुझा के मारा,

उसको पता चला जब मैं हो गया दिवाना,
मनमोहनी ने नस्तर मुझको रिझा के मारा,

आया बहुत दिनों के मैं बाद ओ बी ओ पर
ग़ज़लों के माहिरों ने मुझको हँसा के मारा

तकदीर ने हमेशा इस जिंदगी के पथपर
इसको हँसा के मारा उसको रुला के मारा .....

22 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 30/03/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  2. दिगम्बर नासवा28 मार्च 2013 को 12:41 pm

    खटिया थी टूटी फूटी खटमल भरे हुए थे,
    सर्दी की रात छत पर बिस्तर लगा के मारा,..

    वाह जी वाह ... गज़ब का हास्य लिए ... मस्त गज़ल है ...

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  3. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)28 मार्च 2013 को 1:52 pm

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार के चर्चा मंच-1198 पर भी होगी!
    सूचनार्थ...सादर!
    --
    होली तो अब हो ली...! लेकिन शुभकामनाएँ तो बनती ही हैं।
    इसलिए होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  4. शालिनी कौशिक28 मार्च 2013 को 2:05 pm

    very nice .

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  5. बहुत ही बेहतरीन गज़लें,होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  6. तकदीर ने हमेशा इस जिंदगी के पथपर
    इसको हँसा के मारा उसको रुला के मारा .....

    gazal ke bindaas bolon ne ,

    hamko chhakaake maaraa

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  7. पहले पिलाई भांग ,फिर पौवा पिलाके मारा ,

    जोबन के अलहड़ पन ने ,हमको छका के मारा .

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  8. aapki ye rchna bhut achchi lgi ..........aapne sch much ka hsa ke mara .....

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  9. संध्या शर्मा28 मार्च 2013 को 6:16 pm

    सुन्दर हास्य रचनाएँ ... शुभकामनायें

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  10. waah bahut bahut sundar ..holi khub rahi yah bhi is andaz mein

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  11. बहुत बढ़ियाँ गजल...
    :-)

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  12. वाह भाई जी, गजल में व्यंग और हास्य पिरोना सहज नहीं है
    आपने कमाल कर दिया-सुंदर अनुभूति
    बहुत बहुत बधाई

    आग्रह है मेरे ब्लॉग jyoti-khare.blogspot.in
    में सम्मलित हों ख़ुशी होगी

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  13. धीरेन्द्र सिंह भदौरिया28 मार्च 2013 को 11:08 pm

    बेहतरीन सुंदर हास्य गजल ,,,,,
    Recent post: होली की हुडदंग काव्यान्जलि के संग,

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  14. अरून भाई वाह, वाह! वहां आनन्द तो आया ही था, यहां आनन्द बढ़ गया। यही आपकी रचनाओं का जादू भी है जितना पढ़ो बढ़कर आनन्द देती हैं।
    होली की हार्दिक शुभकामनाएं!

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  15. संजय कुमार भास्‍कर29 मार्च 2013 को 11:29 am

    हमेशा की तरह ये पोस्ट भी बेह्तरीन है.....अरून भाई

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  16. सुंदर,व्यंग और हास्य

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  17. मजा आ गया बहुत सुन्दर गजल
    latest post हिन्दू आराध्यों की आलोचना
    latest post धर्म क्या है ?

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  18. मन के - मनके29 मार्च 2013 को 10:05 pm

    बहुत खूब,मारने के ढंग-बेढंग

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  19. बहुत सुन्दर....होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।।
    पधारें कैसे खेलूं तुम बिन होली पिया...

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  20. निहार रंजन30 मार्च 2013 को 7:31 am

    सुन्दर ग़ज़लें.

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  21. अरुण भाई , भाभी जी को जन्मदिवस की मुबारक बाद ,और आपको भी। साथ ही ये रिक्वेस्ट है की शास्त्री जी की रचना को यहाँ भी प्रकाशित करें।

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  22. ये गजलें बड़ी गुदगुदाने वाली हैं ..
    मेरी तो हँसी थम ही नहीं रही है

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