जब ऋतुराज विहँस आता है,तन-मन निखर-निखर जाता है
पुलकित होकर मन गाता है , प्यारा यह मौसम भाता है
पुलकित होकर मन गाता है , प्यारा यह मौसम भाता है
अमराई बौराई फिर से , हरियाली लहराई फिर से,
कोयल फिर उपवन में बोले, मीठी-मीठी मिश्री घोले,
हृदय लुटाता प्रणय जताता, भ्रमर कली पर मंडराता है.
पुलकित होकर मन गाता है, प्यारा यह मौसम भाता है.
बाली गेहूँ की लहराई, झूमी मदमाती पुरवाई,
पागल है भौंरा फूलों में, झूले मेरा मन झूलों में,
मस्ती में सरसों का सुन्दर, पीला आँचल लहराता है.
पुलकित होकर मन गाता है, प्यारा यह मौसम भाता है.
पेड़ों में नवपल्लव साजे, ढोल मँजीरा घर-घर बाजे,
महकी फूलों की फुलवारी, सजी धरा दुल्हन सी प्यारी,
पुलकित होकर मन गाता है, प्यारा यह मौसम भाता है.
पेड़ों में नवपल्लव साजे, ढोल मँजीरा घर-घर बाजे,
महकी फूलों की फुलवारी, सजी धरा दुल्हन सी प्यारी,
धीमी-मध्यम तेजी गति से, बादल नभ में मँडराता है.
पुलकित होकर मन गाता है, प्यारा यह मौसम भाता है.
पुलकित होकर मन गाता है, प्यारा यह मौसम भाता है.
तन मन को बासंती रंग में रंगती इक बहुत सुन्दर सि रचना ... बधाई
ReplyDeleteबसंती रंग से सराबोर बहुत ही सुन्दर वर्णन.काश मैं देख पाता.अभी अपने चमन से बहुत दूर का वाशिंदा हूँ.
ReplyDeleteबहुत शानदार बसंती रंग में रची उम्दा प्रस्तुति,,,
ReplyDeleterecent post: बसंती रंग छा गया
जरा हट के -
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति अरुण जी-
शुभकामनायें ||
वाह!
ReplyDeleteआपकी यह प्रविष्टि दिनांक 18-02-2013 को चर्चामंच-1159 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
ReplyDeleteसांगीतिक खनक लिए बेहतरीन गेय रचना .वसंत के रंगों की माधुरी बिखेरता वसंत गीत .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .
सुन्दर बासंती रंग
ReplyDeletebahut achcha Geet likha hain ...jiski badhaai to banti hai na Dost :)
ReplyDeleteaapne Charcha Manch par mere blog ki link add ki .... Bahut bahut sukriya.
बहुत शानदार रचना वसंत पर |
ReplyDeleteआशा
shandaar rachna ...badhaai
ReplyDeleteअरुण जी नमस्कार,
ReplyDeleteबसंत ऋतू पर बहुत ही मनोहारी गीत लिखा है .... बधाई स्वीकार करें !
बसंत ऋतू पर मनोहारी गीत ...
ReplyDeleteबधाई अरुण जी ..
वाह ... बसंत का मनोरम दृश्य उतार दिया आपने तो इस रचना में ... बहुत खूब ...
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