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Sunday, February 17, 2013

बसंत - गीत

जब ऋतुराज विहँस आता है,तन-मन निखर-निखर जाता है
पुलकित  होकर  मन  गाता  है ,  प्यारा यह  मौसम भाता है 

अमराई  बौराई  फिर से , हरियाली  लहराई फिर से,
कोयल फिर उपवन में बोले, मीठी-मीठी मिश्री घोले,
हृदय लुटाता प्रणय जताता, भ्रमर कली पर मंडराता है.     
पुलकित होकर मन गाता है, प्यारा यह मौसम  भाता है.

बाली गेहूँ की लहराई, झूमी मदमाती पुरवाई,
पागल है भौंरा फूलों में, झूले मेरा मन झूलों में,
मस्ती में सरसों का सुन्दर,  पीला आँचल लहराता है.
पुलकित होकर मन गाता है, प्यारा यह मौसम भाता है. 


पेड़ों में नवपल्लव साजे, ढोल मँजीरा घर-घर बाजे,
महकी फूलों की फुलवारी, सजी धरा दुल्हन सी प्यारी,
धीमी-मध्यम तेजी गति से, बादल नभ में मँडराता है.
पुलकित होकर मन गाता है, प्यारा यह मौसम  भाता है.

13 comments:

  1. Shalini RastogiFebruary 17, 2013 at 12:29 PM

    तन मन को बासंती रंग में रंगती इक बहुत सुन्दर सि रचना ... बधाई

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  2. Rajendra KumarFebruary 17, 2013 at 1:32 PM

    बसंती रंग से सराबोर बहुत ही सुन्दर वर्णन.काश मैं देख पाता.अभी अपने चमन से बहुत दूर का वाशिंदा हूँ.

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  3. धीरेन्द्र सिंह भदौरियाFebruary 17, 2013 at 2:16 PM

    बहुत शानदार बसंती रंग में रची उम्दा प्रस्तुति,,,

    recent post: बसंती रंग छा गया

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  4. रविकरFebruary 17, 2013 at 4:27 PM

    जरा हट के -
    सुन्दर प्रस्तुति अरुण जी-
    शुभकामनायें ||

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  5. चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’February 17, 2013 at 11:06 PM

    वाह!
    आपकी यह प्रविष्टि दिनांक 18-02-2013 को चर्चामंच-1159 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  6. Virendra Kumar SharmaFebruary 17, 2013 at 11:20 PM


    सांगीतिक खनक लिए बेहतरीन गेय रचना .वसंत के रंगों की माधुरी बिखेरता वसंत गीत .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .

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  7. madhu singhFebruary 18, 2013 at 6:00 AM

    सुन्दर बासंती रंग

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  8. Rohitas ghorelaFebruary 18, 2013 at 7:14 AM

    bahut achcha Geet likha hain ...jiski badhaai to banti hai na Dost :)


    aapne Charcha Manch par mere blog ki link add ki .... Bahut bahut sukriya.

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  9. Asha SaxenaFebruary 18, 2013 at 11:31 AM

    बहुत शानदार रचना वसंत पर |
    आशा

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  10. कविता विकासFebruary 18, 2013 at 5:29 PM

    shandaar rachna ...badhaai

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  11. Parveen MalikFebruary 18, 2013 at 7:06 PM

    अरुण जी नमस्कार,
    बसंत ऋतू पर बहुत ही मनोहारी गीत लिखा है .... बधाई स्वीकार करें !

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  12. Parveen MalikFebruary 20, 2013 at 10:45 AM

    बसंत ऋतू पर मनोहारी गीत ...
    बधाई अरुण जी ..

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  13. दिगम्बर नासवाFebruary 25, 2013 at 12:45 PM

    वाह ... बसंत का मनोरम दृश्य उतार दिया आपने तो इस रचना में ... बहुत खूब ...

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