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Thursday, February 21, 2013

ग़ज़ल : समन्दर

सभी को लगे खूब प्यारा समन्दर,
सुहाना ये नमकीन खारा समन्दर,

नसीबा के चलते गई डूब कश्ती,
मगर दोष पाये बेचारा समन्दर,

दिनों रात लहरों से करता लड़ाई,
थका ना रुका ना ही हारा समन्दर,

कई राज गहरे छुपाकर रखे है,
नहीं खोलता है पिटारा समन्दर,

सुबह शाम चाहे कड़ी दोपहर हो,
हजारों का इक बस सहारा समन्दर.


13 comments:

  1. रविकरFebruary 21, 2013 at 11:53 AM

    बढ़िया गजल है भाई अरुण जी-
    शुभकामनायें -

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  2. रविकरFebruary 21, 2013 at 12:27 PM

    आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवारीय चर्चा मंच पर ।।

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  3. Virendra Kumar SharmaFebruary 21, 2013 at 12:43 PM

    बहुत खूब !और हम हैं शीराज़ा बिखेर देते हैं सरे आम .


    कई राज गहरे छुपाकर रखे है,
    नहीं खोलता है पिटारा समन्दर,कितनी तो हलचल है संघर्ष है समुन्दर के नीचे लेकिन घर की बात घर में ही रहती है .बहुत बढ़िया अशआर है .

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  4. संध्या शर्माFebruary 21, 2013 at 2:38 PM

    दिनों रात लहरों से करता लड़ाई,
    थका ना रुका ना ही हारा समन्दर,
    बहुत सुन्दर भाव...

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  5. सरिता भाटियाFebruary 21, 2013 at 3:19 PM

    बहुत खूब अरुण

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  6. सदाFebruary 21, 2013 at 3:28 PM

    वाह ... बहुत खूब कहा आपने ...

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  7. Rajendra KumarFebruary 21, 2013 at 5:23 PM

    बहुत ही सुन्दर गज़ल है,प्यारा भी.इसी बात पर...

    दुनियाँ न देखता था समन्दर में कैद था,
    मैं जाने कब से अपने मुकदर में कैद था.

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  8. Shalini RastogiFebruary 21, 2013 at 7:10 PM

    बहुत सुन्दर गज़ल ,,,, विशेष रूप से यह शेर
    नसीबा के चलते गई डूब कश्ती,
    मगर दोष पाये बेचारा समन्दर,....

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  9. धीरेन्द्र सिंह भदौरियाFebruary 21, 2013 at 11:20 PM

    वाह !!! बहुत सुन्दर गजल,,,शुभकामनाए,,अरुण जी

    Recent post: गरीबी रेखा की खोज

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  10. Virendra Kumar SharmaFebruary 22, 2013 at 12:53 PM

    शुक्रिया ज़नाब का ,टिप्पणियों का आपकी . .

    जिजीविषा को प्रेरित करे नित समन्दर ,

    है मेरे भी तेरे भी अन्दर समन्दर .

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  11. Dr.NISHA MAHARANAFebruary 23, 2013 at 9:18 AM

    bahut badhiya ........gazal.......

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  12. Virendra Kumar SharmaFebruary 23, 2013 at 6:06 PM


    समुन्दर का रूपक आपने आखिर तक निभाया है इस गजल में .आखिर तक .अर्थ और भाव एक ताल एक लय रहें हैं गजल में .शुक्रिया हमें चर्चा मंच में बिठाने का .प्रीत बढाने का .अपनापन लुटाने का .

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  13. दिगम्बर नासवाFebruary 25, 2013 at 12:44 PM

    कई राज गहरे छुपाकर रखे है,
    नहीं खोलता है पिटारा समन्दर,...

    जिस दिन उसने अपना राज खोला सैलाब आ जाएगा ...
    हर शेर लाजवाब ...

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