पेश-ए-खिदमत है छोटी बहर की ग़ज़ल.
बहर : हज़ज मुरब्बा सालिम
1222, 1222
.............................
परेशानी बढ़ाता है,
सदा पागल बनाता है,
अजब ये रोग है दिल का,
हँसाता है रुलाता है,
दुआओं से दवाओं से,
नहीं आराम आता है,
कभी छलनी जिगर कर दे,
कभी मलहम लगाता है,
हजारों मुश्किलें देकर,
दिलों को आजमाता है,
गुजरती रात है तन्हा,
सवेरे तक जगाता है,
नसीबा ही जुदा करता,
नसीबा ही मिलाता है,
कभी ख्वाबों के सौ टुकड़े,
कभी जन्नत दिखाता है,
उमर लम्बी यही कर दे,
यही जीवन मिटाता है...
.............................
अरुन शर्मा 'अनन्त'
बहर : हज़ज मुरब्बा सालिम
1222, 1222
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परेशानी बढ़ाता है,
सदा पागल बनाता है,
अजब ये रोग है दिल का,
हँसाता है रुलाता है,
दुआओं से दवाओं से,
नहीं आराम आता है,
कभी छलनी जिगर कर दे,
कभी मलहम लगाता है,
हजारों मुश्किलें देकर,
दिलों को आजमाता है,
गुजरती रात है तन्हा,
सवेरे तक जगाता है,
नसीबा ही जुदा करता,
नसीबा ही मिलाता है,
कभी ख्वाबों के सौ टुकड़े,
कभी जन्नत दिखाता है,
उमर लम्बी यही कर दे,
यही जीवन मिटाता है...
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अरुन शर्मा 'अनन्त'
बेहतरीन ग़ज़ल....
ReplyDeleteबधाई अरुण.
अनु
बहुत बेहतरीन ग़ज़ल
ReplyDeletelatest post क्या अर्पण करूँ !
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(20-7-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
दिल क्या न करा ले..
ReplyDeleteबहुत सुंदर, क्या कहने
ReplyDeleteमेरी कोशिश होती है कि टीवी की दुनिया की असल तस्वीर आपके सामने रहे। मेरे ब्लाग TV स्टेशन पर जरूर पढिए।
MEDIA : अब तो हद हो गई !
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/07/media.html#comment-form
छोटी बहार में बहुत सुंदर गजल ,,,क्या बात है,
ReplyDeleteRECENT POST : अभी भी आशा है,
ला-जवाब" जबर्दस्त!!
ReplyDeleteजीवन के मर्म को उकेरती बेहतरीन गजल
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई
आग्रह है
केक्ट्स में तभी तो खिलेंगे--------
खूबसूरत गज़ल
ReplyDeleteबेहतरीन बहुत खुबसूरत!!
ReplyDeleteवाह वाह वाह वाह वाह...
ReplyDeleteलाजवाब...
बेहतरीन गजल....:-)
क्या बात है गजल के माहिर
ReplyDeleteअरुण शर्मा अनंत
खुबसूरत गजल
बहुत बेहतरीन ग़ज़ल
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (22.07.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी. आपके सूचनार्थ .
ReplyDeleteछोटी बहर में लाजवाब गज़ल ... मुश्किल काम को अंदाज़ दिया है ...
ReplyDeleteहर शेर खूब्सीतर ...
बेहतरीन ग़ज़ल
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गजल बेहतरीन पंक्तियां
ReplyDeleteश्री अनंत जी,
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत लेखन |
बेहतरीन गजल |
क्या बात है अरुण .. बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखी है ..
ReplyDeleteकभी ख्वाबों के सौ टुकड़े,
कभी जन्नत दिखाता है,
उमर लम्बी यही कर दे,
यही जीवन मिटाता है...क्या बात कही है .. वाह!
अजब है ये दिल भी
ReplyDeleteबिन ये रोग लगाये माने ना ....
नसीबा ही जुदा करता,
ReplyDeleteनसीबा ही मिलाता है....bilkul sahi..umda ghazal