Pages

आइये आपका हृदयतल से हार्दिक स्वागत है

Thursday, July 5, 2012

बिखरे हुए पन्ने

बिखरे हुए पन्ने किताबों के आगे,
जिंदगी रुक गयी हिसाबों के आगे,
सवालों के पीछे सवालों के तांते,
उलझी जवानी जवाबों के आगे,
जीने में जिद्दोजेहद हो गयी है,
सुधरे हुए हारे खराबों के आगे,
कोई चोट देकर कोई चोट खाकर,
सब लेटे पड़े हैं शराबों के आगे,
आँखों में सजाये जिसे बैठे सभी हैं,
मंजिल नहीं है उन ख्वाबों के आगे.......

7 comments:

  1. रविकर फैजाबादीJuly 5, 2012 at 5:04 PM

    nice

    ReplyDelete
  2. अरुन शर्माJuly 5, 2012 at 5:49 PM

    बहुत बहुत शुक्रिया SIR

    ReplyDelete
  3. Dr. Madhuri Lata Pandey (इला)July 5, 2012 at 7:17 PM

    sunder..

    ReplyDelete
  4. Reena MauryaJuly 5, 2012 at 9:31 PM

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
    :-)

    ReplyDelete
  5. अरुन शर्माJuly 6, 2012 at 1:08 PM

    शुक्रिया माधुरी जी , शुक्रिया रीना जी

    ReplyDelete
  6. Pallavi saxenaJuly 6, 2012 at 11:31 PM

    सुंदर शब्द संयोजन...

    ReplyDelete
  7. अरुन शर्माJuly 7, 2012 at 11:11 AM

    शुक्रिया पल्लवी जी

    ReplyDelete
Add comment
Load more...

आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर