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आइये आपका हृदयतल से हार्दिक स्वागत है

Monday, July 9, 2012

मुस्कुराना भूल आये हैं

ख़ुशी से हंसते-हंसते लब, मुस्कुराना भूल आये हैं,
आज हम अपने ही घर का, ठिकाना भूल आये हैं,
यादों के सब लम्हे , यादों से मिटाकर हम,
उसके साथ वो गुजरा, जमाना भूल आये हैं,
बुझाकर रख गई जब वो, सुहाने साथ बीते पल,
सुलगता यादों का वो पल छिन, जलाना भूल आये हैं,
लगी जब चोट हकीकत की, जग गई नींद से आँखें,
बंद आँखों पर ख्वाबों को, सजाना भूल आये हैं,
उसे खुशहाल रखना, इस दिवाने दिल की आदत थी,
अब उसकी खातिर अपने अश्क, बहाना भूल आये हैं....

4 comments:

  1. Rajesh KumariJuly 9, 2012 at 7:16 PM

    आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १०/७/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी आप सादर आमंत्रित हैं |

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  2. Reena MauryaJuly 9, 2012 at 8:46 PM

    सुन्दर प्रेमपगी रचना...
    :-)

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  3. dheerendraJuly 9, 2012 at 9:32 PM

    वाह ,,,,,लाजबाब सूंदर प्रस्तुति ,,,,,

    RECENT POST...: दोहे,,,,

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  4. expressionJuly 10, 2012 at 8:28 AM

    मुस्कुराइए....मत भूलिए मुस्कुराना.

    सुन्दर रचना
    बधाई.
    अनु

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