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गुरुवार, 21 जून 2012

एक सवाल खुद से खुद के लिए :

एक सवाल खुद से खुद के लिए :-
 
( कौन हूँ मैं - किसका हूँ मैं - कहाँ हूँ मैं और क्या हूँ मैं )

ना किसी की रातों में, ना किसी की बातों में,
ना किसी की बाहों में, ना किसी की राहों में,
ना किसी की साँसों में, ना किसी की आँखों में,
ना किसी के वादों में, ना किसी की यादों में,
बादल हूँ मैं आवारा, लगता हूँ मैं बंजारा,
कटी पतंग की उझली डोर, न मैं शाम न मैं भोर,
वक़्त की मैं मज़बूरी, अधूरी वस्तु नहीं पूरी,
समंदर की गुजरी लहर, बंजर से बसा शहर,
मोहोब्बत की शिकायत हूँ, बड़ी जालिम बगावत हूँ,
लम्हों की शराफत हूँ, एक पल की आफत हूँ,
बीरानों में खड़ी मंजिल, दर्द हूँ एक मुस्किल,
बिखरी रास्तों की धूल, मैं अनखिला एक फूल,
भटकता एक फ़कीर हूँ, मिट गयी सी लकीर हूँ.....

5 टिप्‍पणियां:

  1. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)22 जून 2012 को 9:13 pm

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (23-06-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  2. अरुन शर्मा23 जून 2012 को 11:22 am

    हृदय से आपका अभिवादन SIR

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  3. अनामिका की सदायें ......23 जून 2012 को 11:54 am

    mere bhi yahi sawal hai....yahi haal hai. :(

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  4. अरुन शर्मा23 जून 2012 को 12:14 pm

    होता है अनामिका जी

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  5. S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')23 जून 2012 को 7:06 pm

    बहुत खूब...

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
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