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सोमवार, 25 मार्च 2013

बुरा न मानो होली है

............. बुरा न मानो होली है ............

रंगों की बदरी छाई है, होली की बारिश आई है,
मस्ती ने मस्ती घोली है, रंगीन रची रंगोली है,

शास्त्री सर की कविता रंगू, रविकर सर की कुण्डलियाँ,
निगम सर के गीत भिगाऊं, धीरेन्द्र सर जी की गलियाँ,
जरा हँसी मजाक ठिठोली है, यह गुरु शिष्य की होली है,
मस्ती ने मस्ती घोली है, रंगीन रची रंगोली है,

प्रिय संदीप मनोज सखा की ग़ज़लों को भंग पिलाऊं मैं
शालिनी जी की अनुभूति को लाल गुलाल लगाऊं मैं,
भरी रंगों से ही झोली है, यह मित्र सखा की होली है,
मस्ती ने मस्ती घोली है, रंगीन रची रंगोली है,

तरह तरह के रंग रंगीले, कुछ नीले हैं कुछ पीले हैं,
एक जैसी सबकी सूरत है, सब भीगे हैं सब गीले हैं,
मस्त पवन भी डोली है, झूमी गाती हर टोली है,
मस्ती ने मस्ती घोली है, रंगीन रची रंगोली है,,

हर चेहरा रंगों वाला है, चाहे गोरा है या काला है,
यह प्रेम जुदा है गहरा है, खुशियों का घर-२ पहरा है,
फागुन की मीठी बोली है, मनमौजी भंग की गोली है,
मस्ती ने मस्ती घोली है, रंगीन रची रंगोली है ....
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