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सोमवार, 23 दिसंबर 2013

आखिरी लम्हा सफ़र का पर निराला दे.

छल कपट लालच बुराई को निकाला दे,
जग हुआ अंधा अँधेरे से, उजाला दे,

झूठ हिंसा पाप से सबको बचा या रब,
शान्ति सुख संतोष देती पाठशाला दे,

शुद्धता जिसमें घुली हो जिसमें सच्चाई,
प्रेम से गूँथी हुई हाथों में माला दे,

स्वर्ण आभूषण की मुझको है नहीं चाहत,
भूख मिट जाए कि उतना ही निवाला दे,

जिंदगी जैसी भी चाहे दे मुझे मौला,
आखिरी लम्हा सफ़र का पर निराला दे..

10 टिप्‍पणियां:

  1. सुशील कुमार जोशी23 दिसंबर 2013 को 5:49 pm

    बहुत सुंदर रचना !

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  2. देवदत्त प्रसून23 दिसंबर 2013 को 6:52 pm

    अच्छी और कल्याणकारी सोच है !

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  3. प्रवीण पाण्डेय23 दिसंबर 2013 को 9:18 pm

    बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ..

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  4. Rajesh Kumari23 दिसंबर 2013 को 9:28 pm

    आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार २४/१२/१३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी,आपका वहाँ हार्दिक स्वागत है।

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  5. चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’24 दिसंबर 2013 को 3:29 pm

    क्या बात वाह! बहुत ख़ूब!

    अरे! मैं कैसे नहीं हूँ ख़ास?

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  6. कालीपद प्रसाद24 दिसंबर 2013 को 3:33 pm

    बहुत सुन्दर है !
    नई पोस्ट चाँदनी रात
    नई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य ( भाग २ )

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  7. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक24 दिसंबर 2013 को 6:40 pm

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (25-12-13) को "सेंटा क्लॉज है लगता प्यारा" (चर्चा मंच : अंक-1472) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  8. संजय भास्‍कर26 दिसंबर 2013 को 5:03 pm

    बहुत ही सुन्दर

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  9. कविता रावत14 जनवरी 2014 को 3:39 pm

    जिंदगी जैसी भी चाहे दे मुझे मौला,
    आखिरी लम्हा सफ़र का पर निराला दे..
    ..बहुत सुन्दर नेक भाव ..
    अंत भला तो सब भला ..
    मकर सक्रांति की

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  10. Prasanna Badan Chaturvedi16 जनवरी 2014 को 10:11 pm

    उत्कृष्ट......बहुत बहुत बधाई...

    नयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो

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