छल कपट लालच बुराई को निकाला दे,
जग हुआ अंधा अँधेरे से, उजाला दे,
झूठ हिंसा पाप से सबको बचा या रब,
शान्ति सुख संतोष देती पाठशाला दे,
शुद्धता जिसमें घुली हो जिसमें सच्चाई,
प्रेम से गूँथी हुई हाथों में माला दे,
स्वर्ण आभूषण की मुझको है नहीं चाहत,
भूख मिट जाए कि उतना ही निवाला दे,
जिंदगी जैसी भी चाहे दे मुझे मौला,
आखिरी लम्हा सफ़र का पर निराला दे..
जग हुआ अंधा अँधेरे से, उजाला दे,
झूठ हिंसा पाप से सबको बचा या रब,
शान्ति सुख संतोष देती पाठशाला दे,
शुद्धता जिसमें घुली हो जिसमें सच्चाई,
प्रेम से गूँथी हुई हाथों में माला दे,
स्वर्ण आभूषण की मुझको है नहीं चाहत,
भूख मिट जाए कि उतना ही निवाला दे,
जिंदगी जैसी भी चाहे दे मुझे मौला,
आखिरी लम्हा सफ़र का पर निराला दे..
बहुत सुंदर रचना !
प्रत्युत्तर देंहटाएंअच्छी और कल्याणकारी सोच है !
प्रत्युत्तर देंहटाएंबहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ..
प्रत्युत्तर देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार २४/१२/१३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी,आपका वहाँ हार्दिक स्वागत है।
प्रत्युत्तर देंहटाएंक्या बात वाह! बहुत ख़ूब!
प्रत्युत्तर देंहटाएंअरे! मैं कैसे नहीं हूँ ख़ास?
बहुत सुन्दर है !
प्रत्युत्तर देंहटाएंनई पोस्ट चाँदनी रात
नई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य ( भाग २ )
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
प्रत्युत्तर देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (25-12-13) को "सेंटा क्लॉज है लगता प्यारा" (चर्चा मंच : अंक-1472) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ही सुन्दर
प्रत्युत्तर देंहटाएंजिंदगी जैसी भी चाहे दे मुझे मौला,
प्रत्युत्तर देंहटाएंआखिरी लम्हा सफ़र का पर निराला दे..
..बहुत सुन्दर नेक भाव ..
अंत भला तो सब भला ..
मकर सक्रांति की
उत्कृष्ट......बहुत बहुत बधाई...
प्रत्युत्तर देंहटाएंनयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो