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Wednesday, October 9, 2013

जय माता दी




नमन कोटिशः आपको, हे नवदुर्गे मात ।
श्री चरणों में हो सुबह, श्री चरणों में रात ।।

नमन हाथ माँ जोड़कर, विनती बारम्बार ।
हे जग जननी कीजिये, सबका बेड़ापार ।।

हे वीणा वरदायिनी, हे स्वर के सरदार ।
सुन लो हे ममतामयी, करुणा भरी पुकार ।।

केवल इतनी कामना, कर रखता उपवास ।
मन में मेरे आपका, इक दिन होगा वास ।।

सुबह शाम वंदन नमन, मन से माते जाप ।
पूर्ण करो हर कामना, इस बालक की आप ।।

13 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति-
    नवरात्रि की शुभकामनायें प्रियवर-
    १९-२० को दिल्ली में हूँ-

    स्वर की सहकार-

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  2. करुणामयी

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  3. राजेंद्र कुमारOctober 9, 2013 at 12:18 PM

    आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (10-10-2013) को "ब्लॉग प्रसारण : अंक 142"शक्ति हो तुम
    पर लिंक की गयी है.

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  4. कालीपद प्रसादOctober 9, 2013 at 5:15 PM

    बहुतही खुबसूरत करुणा पूर्ण प्रार्थना ! बधाई अरुण जी !
    लेटेस्ट पोस्ट नव दुर्गा
    नई पोस्ट साधू या शैतान

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  5. धीरेन्द्र सिंह भदौरियाOctober 9, 2013 at 5:35 PM

    मनमोहक सुंदर अभिव्यक्ति...!
    नवरात्रि की शुभकामनाएँ ...!

    RECENT POST : अपनी राम कहानी में.

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  6. प्रवीण पाण्डेयOctober 9, 2013 at 7:02 PM

    नवरात्रि की शुभकामनायें

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  7. ई. प्रदीप कुमार साहनीOctober 10, 2013 at 1:44 AM

    सुंदर वंदना |

    मेरी नई रचना :- मेरी चाहत

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  8. रूपचन्द्र शास्त्री मयंकOctober 10, 2013 at 6:16 AM

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (10-10-2013) "दोस्ती" (चर्चा मंचःअंक-1394) में "मयंक का कोना" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  9. कविता रावतOctober 10, 2013 at 6:21 AM

    माँ दुर्गे की सुन्दर स्तुति
    जय माता रानी की!

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  10. राजीव कुमार झाOctober 10, 2013 at 4:59 PM

    बहुत सुन्दर .
    नई पोस्ट : मंदारं शिखरं दृष्ट्वा
    नवरात्रि की शुभकामनाएँ .

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  11. Virendra Kumar SharmaOctober 13, 2013 at 6:54 AM

    नमन कोटिशः आपको, हे नवदुर्गे मात ।
    श्री चरणों में हो सुबह, श्री चरणों में रात ।।

    प्रांजल भाव अनुभाव की प्रांजल रचना। कोमल कान्त भाषा विषयानुरूप

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  12. जय माँ भवानी.....सुन्दर पंक्तियाँ बधाई

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  13. माँ दुर्गे कि बेहतरीन प्रस्तुति...
    :-)

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